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कंडम घोषित कर करीब 6 साल पहले तोड़ दी थी स्कूल की बिल्डिंग, नए भवन की नहीं लगी एक भी ईंट, बेटियों की पढ़ाई हो रही प्रभावित

Schools Bad Condition In Nuh: नूंह जिले के पिनगवां में कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के भवन को कंडम घोषित कर आज से करीब 6 साल पहले तुड़वा दिया गया था. आज तक नए भवन के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है. जिसकी वजह से छात्राओं को काफी परेशानी हो रही है.

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नूंह जिले के पिनगवां में कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की छात्राएं परेशान.

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 26, 2023, 1:22 PM IST

नूंह जिले के पिनगवां में कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की छात्राएं परेशान.

नूंह: पिनगवां के कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के भवन को कंडम घोषित कर आज से करीब 6 साल पहले तुड़वा दिया गया था. हैरानी की बात तो ये है कि आज तक नए भवन के नाम पर एक ईंट तक नहीं लगी है. जिसकी वजह से अध्यापकों और छात्राओं को काफी परेशानी हो रही है. नया भवन नहीं होने की वजह से प्राइमरी स्कूल में छात्राओं का पढ़ाना पड़ रहा है.

जिस प्राइमरी स्कूल में छात्राओं का पढ़ाया जा रहा है. वहां भी जगह और कमरों की कमी है. लिहाजा छात्राओं को खुले में बैठक पढ़ना पड़ता है. दोनों स्कूलों की करीब 1250 छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. गर्ल्स राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की करीब 850 छात्राएं हैं. बता दें कि फरवरी 2018 में गर्ल्स राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के भवन को कंडम घोषित कर तुड़वा दिया गया था.

हरियाणा शिक्षा विभाग ने दो मंजिला राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय बनवाने के लिए करोड़ों रुपये की राशि मंजूर कर दी, लेकिन 6 साल के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया. बता दें कि पुराना भवन कमरों और परिसर के लिहाज से काफी कम था. बरसात में तो स्कूल तालाब का रूप ले लेता था. अधिकतर बेटियों को खुले आसमान के नीचे पढ़ना पड़ता था.

लड़कियों के स्कूल की समस्या को एक बार नहीं, कई बार मीडिया ने उठाया. तब जाकर शिक्षा विभाग की नींद खुली. शिक्षा विभाग ने नए भवन के लिए करोड़ों की राशि भेज दी और पुराने भवन का टेंडर लगाकर उसे फरवरी 2018 में तुड़वा दिया. भवन को तोड़े हुए पांच साल से अधिक समय बीत गया है, लेकिन नए भवन के नाम पर अभी तक एक ईंट भी नहीं लगी है.

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गर्ल्स पिनगवां की बिल्डिंग साल 1947 में बनकर तैयार हुई थी. करीब सात दशक बाद ये बिल्डिंग जर्जर अवस्था में हो गई. स्टाफ, मिड डे मील से लेकर लड़कियों के पढ़ने के लिए मात्र पांच कमरे थे. जिसकी वजह से लड़कियों को सर्दी, गर्मी, बरसात में खुले आसमान के नीचे बैठकर तालीम हासिल करनी पड़ती थी.

पीने के पानी, बिजली, शौचालय की कमी छात्राओं को लगातार खल रही थी. जगह का अभाव और टीचरों का अभाव लड़कियों की बेहतर तालीम में रोड़ा बना हुआ था. स्कूल भवन बनने का मामला तो फाइलों में चल रहा है, लेकिन रफ्तार इतनी मंद है कि करीब 6 साल में एक ईंट भी नहीं लगी. हाल ही में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने स्कूलों में अच्छी सुविधा ना होने के चले हरियाणा सरकार को फटकार भी लगाई है.

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