नूंह: हरियाणा में देश के भविष्य के साथ मजाक हो रहा है. वो देश जो दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने के सपने देख रहा है, उसकी नींव इतनी खोखली रखी जा रही है कि विकसित देशों से मुकाबला करने का वो सपना देखना भी गुनाह है.
किसी भी देश के लिए उसकी सबसे बड़ी संपत्ति उस देश के बच्चे होते हैं. उस देश के बुद्धिजीवी होते हैं, लेकिन यहां तो हरियाणा सरकार देश की भावी पीढ़ी को खोखला कर रही है. उन्हें सही शिक्षा नहीं दे पा रही है, उन्हें शिक्षक तक नहीं मुहैया करवा पा रही है.
बिन गुरु ज्ञान प्राप्त करते हैं 83 'एकलव्य'
ईटीवी भारत हरियाणा की विशेष मुहीम 'सुनिए शिक्षा मंत्री' के तहत हम पहुंचे नूंह के करहेड़ा गांव में. इस गांव के मिडिल स्कूल में 83 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है. बच्चे आते हैं किताबें खोल कर बैठ जाते हैं, लेकिन पढ़ें क्या? उन्हें पढ़ाने के लिए गुरु जी तो आते ही नहीं. बच्चे जब दिल करता है पढ़ते हैं. बस्ता उठा कर चल पड़ते हैं. परीक्षा नजदीक आने को है, पाठ्यक्रम पूरा हुआ ही नहीं है.
प्राइमरी शिक्षकों पर बड़ी नाइंसाफी!
इसी गांव में प्राइमरी स्कूल भी है. जहां 5 अध्यापक 200 बच्चों पढ़ाते हैं. स्ट्रेंथ के हिसाब से यहां भी 4 शिक्षकों की कमी है. हैरानी की बात है कि इन्हीं प्राइमरी अध्यापकों को मिडिल स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा मिला है. पहले ही प्राइमरी स्कूल में अध्यापकों का टोटा है ऊपर से दूसरे स्कूल का बोझ है. बेचारे प्राइमरी अध्यापक कैसे झेलते होंगे वो तो उन्हें ही मालूम होगा.