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Published : Feb 26, 2020, 3:50 PM IST

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हरियाणा बजट: सूबे के सबसे पिछड़े इलाके नूंह के शिक्षक और छात्रों की क्या है मांग?

नूंह में अध्यापक, छात्र और छात्रा आने वाले बजट में क्या चाहते हैं और उन्हें कितनी उम्मीद है. आप खुद ही सुन और समझिए.

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सूबे के सबसे पिछड़े इलाके नूंह के शिक्षक और छात्रों की क्या है मांग?

नूंहःहरियाणा के नूंह जिले को प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता है. टेक्नॉलिजी से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में नूंह का विकास अभी भी अधूरा ही है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने नूंह के छात्रों और अध्यापकों से जाना कि उन्हें हरियाणा के आने वाले बजट से क्या उम्मीदें हैं और क्या उनकी मांगें हैं.

क्या है बजट से उम्मीदें

नूंह के अध्यापकों का कहना है कि नूंह की शिक्षा व्यवस्था बेहद खराब है. शिक्षा का स्तर सुधारे के लिए बहुत काम की जरुरत है. उनका कहना है कि नूंह के स्कूलों में शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी है. ऐसे में शिक्षा में सुधार तभी आएगा जब खाली पड़े पदों की भर्ती की जाएगी क्योंकि इससे एक ओर जहां बच्चों को पढ़ाई लिखाई मिलेगी तो वहीं रोजगार में भी बढ़ावा होगा.

सूबे के सबसे पिछड़े इलाके नूंह के शिक्षक और छात्रों की क्या है मांग?

स्कूलों में संसाधनों की कमी

इसके अलावा शिक्षकों ने बताया कि यहां स्कूलों में संसाधनों की भी कमी है. यहां स्कूल में मिड डे मील, स्कूल की बिल्डिंग और खेलने के लिए कोई ग्राउंड भी नहीं है. इसलिए हमारी मांग है कि सबसे पहले भवन निर्माण करवाया जाए और जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाया जाए. ताकि बच्चों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ ना हो सके. इसके साथ ही नूंह में बच्चियों के लिए अलग से स्कूल खोलने की भी मांग उठी है.

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खाली पदों पर शिक्षकों की भर्ती

छात्रों का कहना है कि नूंह में पढ़ाई के लिए सरकार द्वारा हर सब्जेक्ट के लिए शिक्षकों को भर्ती किया जाए. इसके साथ-साथ कॉलेजों में भी कुछ क्लासेस होती और कुछ शिक्षकों की कमी के चलते नहीं पाती. जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनकी मांग है कि सरकार इस बजट में छात्रों के लिए नई शिक्षा निति लेकर आए.

पढ़ाई के साथ खेलों में भी मिले बढ़ावा

वहीं पढ़ाई के साथ-साथ नूंह में खेलों में भी सुविधाओं की दरकार है. छात्रों का कहना है कि प्रतिभाओं को निखारने की कोशिश की जाए. हरियाणा सरकार जो बजट लाने जा रही है उसमें यूनिवर्सिटी की मांग है कि जो लंबे समय से चली आ रही है. सरकार उस मांग को अमलीजामा पहनाने की दिशा में पहल करे. गरीब इलाके के बच्चों से फीस कम वसूली जाए. छात्रों का कहना है कि अगर यूनिवर्सिटी आती है तो पढ़ाई करने के लिए बच्चों को दूर दराज इलाकों में नहीं जाना पड़ेगा.

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