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नूंहः 13 साल पहले शुरू हुए मोबाइल कोर्ट का समापन, लोगों के घर पहुंचती थी अदालत

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Published : Jan 19, 2020, 2:21 PM IST

समय बदलता गया तो मोबाइल कोर्ट का दायरा भी कम होता चला गया. मोबाइल कोर्ट चार स्थानों से महज एक स्थान पर सिमट गई. कुछ साल पुन्हाना के किसान रेस्ट हाउस में तो कुछ साल पिनगवां स्थित किसान रेस्ट हाउस में अदालत लगाई गई. जगह की कमी अदालत को खलती रही.

MOBILE COURT
MOBILE COURT

नूंहः जिले में केसों की संख्या अधिक होने चलते सस्ता, शुलभ न्याय देने के लिए करीब 13 वर्ष पहले मेवात जिले की अनाज मंडी पुन्हाना की धरती से शुरू की गई मोबाइल कोर्ट का अब पूरी तरह समापन हो गया है. घर तक न्याय देने के लिए न्यायपालिका ने इस कदम को उठाया था और देश की पहली मोबाइल अदालत इस क्षेत्र का नाम अपने इतिहास से जोड़कर राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इलाके की पहचान बना गई.

चार स्थानों पर लगती थी मोबाइल कोर्ट
देश के तत्कालीन चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन ने मोबाइल कोर्ट की शुरुआत 7 अगस्त 2006 को की थी. एक लग्जरी बस में मोबाइल कोर्ट लगता था. जज साहब के अलावा उनका स्टाफ भी इसी बस में सवार होकर चलता था और चार स्थानों बिछोर, पुन्हाना, लुहिंगाकलां, शिकरावा में गांव में अदालत लगती थी.

13 साल पहले शुरू हुए मोबाइल कोर्ट का समापन, लोगों के घर पहुंचती थी अदालत.

हर सप्ताह कोर्ट चलकर लोगों के बीच जाती थी. कोर्ट को इन स्थानों पर दिक्कत नहीं थी, लेकिन वकीलों को फोटोस्टेट, टाइपिंग इत्यादि की दुकानें इन स्थानों पर नहीं होने से खासी दिक्कत होती थी.

चीफ जस्टिस ने की थी मोबाइल कोर्ट की शुरूआत
मोबाइल कोर्ट शुरूआती दौर में अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब हुई, लेकिन बाद में इसका दायरा कम होता चला गया. भले ही मोबाइल कोर्ट पूरी तरह बंद हो गया हो , लेकिन जिले के लोग इसको कभी नहीं भुला पाएंगे.

फिरोजपुर झिरका बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान मुमताज खान एवं पुन्हाना बार एशोसिएशन के प्रधान जावेद अहमद एडवोकेट ने कहा कि मोबाइल कोर्ट की शुरुआत करने उस समय के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन, कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, उस समय के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित राजनीति और न्यायपालिका से जुड़े बड़े लोग आये थे. इलाके के लोगों की आर्थिक स्थिति और केसों की संख्या अधिक होने के चलते लोगों को मोबाइल कोर्ट की सौगात मिली. न्यायपालिका की इस पहल से लोगों को त्वरित न्याय भी मिला.

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समय के साथ कम होता गया मोबाइल कोर्ट का दायरा
समय बदलता गया तो मोबाइल कोर्ट का दायरा भी कम होता चला गया. मोबाइल कोर्ट चार स्थानों से महज एक स्थान पर सिमट गई. कुछ साल पुन्हाना के किसान रेस्ट हाउस में तो कुछ साल पिनगवां स्थित किसान रेस्ट हाउस में अदालत लगाई गई. जगह की कमी अदालत को खलती रही.

मोबाइल कोर्ट का नाम बदलकर हुआ कैम्प कोर्ट
साल 2018 में मोबाइल कोर्ट का नाम बदलकर कैम्प कोर्ट किया गया. लेकिन पिनगवां कस्बे के किसान रेस्ट हाउस में फिरोजपुर झिरका उपमंडल के बीच का स्थान होने की वजह से अदालत लगती रही. कैम्प कोर्ट पिछले 17 जनवरी तक चलता रहा, लेकिन पिछले18 जनवरी को इसे अस्थाई अदालत पुन्हाना शिफ्ट करने के बाद यहां से मोबाइल कोर्ट का समापन पूरी तरह हो गया.

पुन्हाना को मिलेंगी 2 स्थाई अदालतें
अब पुन्हाना को आगामी 31 मार्च से पहले-पहले दो स्थाई अदालत मिल जाएंगी. जिसका पुन्हाना उपमंडल के पिनगवां , पुन्हाना , बिछोर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सैकड़ों गांव के लोगों को लाभ मिलेगा.

यहां यह बताना जरुरी है कि जिस समय मोबाइल कोर्ट इस इलाके के लोगों को मिला था , उस समय पुन्हाना उपमंडल नहीं बना था. पुन्हाना खंड, फिरोजपुर झिरका उपमण्डल का हिस्सा होता था. न्यायपालिका अभी भी क्षेत्र के लोगों को त्वरित, शुलभ और सस्ता न्याय दिलाने की दिशा में जरुरी कदम उठा रही है.

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