नूंहः जिले में केसों की संख्या अधिक होने चलते सस्ता, शुलभ न्याय देने के लिए करीब 13 वर्ष पहले मेवात जिले की अनाज मंडी पुन्हाना की धरती से शुरू की गई मोबाइल कोर्ट का अब पूरी तरह समापन हो गया है. घर तक न्याय देने के लिए न्यायपालिका ने इस कदम को उठाया था और देश की पहली मोबाइल अदालत इस क्षेत्र का नाम अपने इतिहास से जोड़कर राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इलाके की पहचान बना गई.
चार स्थानों पर लगती थी मोबाइल कोर्ट
देश के तत्कालीन चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन ने मोबाइल कोर्ट की शुरुआत 7 अगस्त 2006 को की थी. एक लग्जरी बस में मोबाइल कोर्ट लगता था. जज साहब के अलावा उनका स्टाफ भी इसी बस में सवार होकर चलता था और चार स्थानों बिछोर, पुन्हाना, लुहिंगाकलां, शिकरावा में गांव में अदालत लगती थी.
हर सप्ताह कोर्ट चलकर लोगों के बीच जाती थी. कोर्ट को इन स्थानों पर दिक्कत नहीं थी, लेकिन वकीलों को फोटोस्टेट, टाइपिंग इत्यादि की दुकानें इन स्थानों पर नहीं होने से खासी दिक्कत होती थी.
चीफ जस्टिस ने की थी मोबाइल कोर्ट की शुरूआत
मोबाइल कोर्ट शुरूआती दौर में अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब हुई, लेकिन बाद में इसका दायरा कम होता चला गया. भले ही मोबाइल कोर्ट पूरी तरह बंद हो गया हो , लेकिन जिले के लोग इसको कभी नहीं भुला पाएंगे.
फिरोजपुर झिरका बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान मुमताज खान एवं पुन्हाना बार एशोसिएशन के प्रधान जावेद अहमद एडवोकेट ने कहा कि मोबाइल कोर्ट की शुरुआत करने उस समय के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन, कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, उस समय के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित राजनीति और न्यायपालिका से जुड़े बड़े लोग आये थे. इलाके के लोगों की आर्थिक स्थिति और केसों की संख्या अधिक होने के चलते लोगों को मोबाइल कोर्ट की सौगात मिली. न्यायपालिका की इस पहल से लोगों को त्वरित न्याय भी मिला.