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जल बचाना इनसे सीखे: हरियाणा के पिछड़े जिले ने अपनाई आधुनिक तकनीक, दूसरे जिलों के लिए पेश की मिसाल

हरियाणा में एक तरफ जहां भू जल संकट (ground water level problem) गहराता जा रहा है. वहीं पानी के संकट को भापते हुए नूंह के किसानों ने टपका सिंचाई खेती पर जोर देना शुरू कर दिया है. आज नूंह के ज्यादातर किसान इस आधुनिक तरीके से ना सिर्फ सिंचाई कर रहे हैं बल्कि ज्यादा मुनाफा भी कमा रहे हैं.

nuh farmers drip irrigation
जल बचाना कोई इनसे सीखे

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Published : Jun 18, 2021, 10:36 PM IST

नूंह:हरियाणा पर भीषण जल संकट (haryana water crisis) का खतरा मंडरा रहा है. राज्‍य जल समस्‍या के मुहाने पर खड़ा है और अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में लोगों को पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है. बढ़ते भू जल संकट (ground water level problem) के बीच हरियाणा सरकार भी टपका यानी की सूक्ष्म सिंचाई (drip irrigation) पर जोर देनी की कोशिश कर रही है.

एक तरफ जहां सरकार रेड जोन वाले क्षेत्रों में टपका सिंचाई करने की योजना बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा का सबसे पिछड़ा जिला नूंह इस आधुनिक सिंचाई प्रणाली को पहले ही अपना चुका है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश में पिछड़ेपन का दंश झेलने वाले जिले नूंह के किसानों का रुझान आधुनिक टपका सिंचाई की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. जिले में सिंचाई के पानी की समस्या को देखते हुए टपका प्रणाली पर किसान खास ध्यान दे रहे हैं. यहां ज्यादातर सब्जी की फसलों की खेती अब टपका सिंचाई से हो रही है.

हरियाणा के पिछड़े जिले ने अपनाई आधुनिक तकनीक

जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद के मुताबिक जिले में प्याज, टमाटर, करेला, घीया और बैंगन जैसी सब्जी की फसलें टपका प्रणाली सिंचाई के जरिए ही उगाई जा रहे हैं. इस प्रणाली से पेड़ों में कम पानी देना पड़ता है और उत्पादन तकरीबन डेढ़ गुना ज्यादा बढ़ जाता है. जिससे किसानों को अच्छी-खासी आमदनी हो रही है.

टपका सिंचाई से होते बरसाती प्याज

उन्होंने बताया कि जिले के तावडू, नगीना, फिरोजपुर झिरका आदी खंड में टपका प्रणाली से सब्जी की फसलें हजारों किसान उगा रहे हैं. इन फसलों की गुणवत्ता में भी कोई कमी नहीं है. बात अगर बरसाती प्याज की करें तो पूरे प्रदेश में बरसाती प्जाज की खेती सिर्फ नूंह में ही होती है और अब ये बरसाती प्याज भी टपका प्रणाली से उगाए जा रहे हैं. बता दें कि अपनी गुणवत्ता की वजह से ये प्याज पूरे एनसीआर की मंडियों में सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं.

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दरअसल, टपका प्रणाली (drip irrigation) के तहत पानी का पाइप पूरी तरह फसल में बिछाया जाता है और पेड़ों की जड़ों में ही पाइप में छेद के जरिए से पानी टपकता रहता है. जिससे कम पानी में ही काम चल जाता है. नूंह जिले में सिंचाई के पर्याप्त माध्यम नहीं हैं. यहां नहर, नालों की कमी है तो इसके अलावा भू-जल संकट भी गहरा और खरा है. ऐसे में जो पानी बचा है उसी के जरिए किसान टपका सिंचाई से सब्जी की फसलें उगा रहे हैं.

हरियाणा में गहराता भू-जल संकट

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जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद ने बताया कि टपका प्रणाली से तैयार की गई फसल में उम्दा किस्म की होती है. जिले के किसानों को भी बागवानी विभाग समय-समय पर खाद बीज इत्यादि के साथ-साथ प्रशिक्षण में मदद करता है. जिले में सिंचाई के संसाधन कम होने की वजह से किसान भी जिला बागवानी विभाग के दिशा-निर्देश के मुताबिक आधुनिक खेती की तरफ अपना रुझान बढ़ा रहे हैं. इसके अलवा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए टपका प्रणाली पर सरकार 100 फीसदी सब्सिडी भी देती है. जिसका परिणाम ये है कि नूंह के किसान टपका सिंचाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

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