नूंह:हरियाणा पर भीषण जल संकट (haryana water crisis) का खतरा मंडरा रहा है. राज्य जल समस्या के मुहाने पर खड़ा है और अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में लोगों को पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है. बढ़ते भू जल संकट (ground water level problem) के बीच हरियाणा सरकार भी टपका यानी की सूक्ष्म सिंचाई (drip irrigation) पर जोर देनी की कोशिश कर रही है.
एक तरफ जहां सरकार रेड जोन वाले क्षेत्रों में टपका सिंचाई करने की योजना बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा का सबसे पिछड़ा जिला नूंह इस आधुनिक सिंचाई प्रणाली को पहले ही अपना चुका है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश में पिछड़ेपन का दंश झेलने वाले जिले नूंह के किसानों का रुझान आधुनिक टपका सिंचाई की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. जिले में सिंचाई के पानी की समस्या को देखते हुए टपका प्रणाली पर किसान खास ध्यान दे रहे हैं. यहां ज्यादातर सब्जी की फसलों की खेती अब टपका सिंचाई से हो रही है.
जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहम्मद के मुताबिक जिले में प्याज, टमाटर, करेला, घीया और बैंगन जैसी सब्जी की फसलें टपका प्रणाली सिंचाई के जरिए ही उगाई जा रहे हैं. इस प्रणाली से पेड़ों में कम पानी देना पड़ता है और उत्पादन तकरीबन डेढ़ गुना ज्यादा बढ़ जाता है. जिससे किसानों को अच्छी-खासी आमदनी हो रही है.
उन्होंने बताया कि जिले के तावडू, नगीना, फिरोजपुर झिरका आदी खंड में टपका प्रणाली से सब्जी की फसलें हजारों किसान उगा रहे हैं. इन फसलों की गुणवत्ता में भी कोई कमी नहीं है. बात अगर बरसाती प्याज की करें तो पूरे प्रदेश में बरसाती प्जाज की खेती सिर्फ नूंह में ही होती है और अब ये बरसाती प्याज भी टपका प्रणाली से उगाए जा रहे हैं. बता दें कि अपनी गुणवत्ता की वजह से ये प्याज पूरे एनसीआर की मंडियों में सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं.