नूंह: जिले की आबादी करीब 14 लाख है. जिले में नूंह, पुन्हाना, तावडू, फिरोजपुर झिरका शहर हैं. तो पिनगवां-नगीना जैसे कस्बों के अलावा बड़े गांव शामिल हैं. यहां की ज्यादातर आबादी गांवों में बसती है. लेकिन फसलों से लेकर ईंधन और घरों में आग लगने के बाद संसाधन की कमी की वजह से आग बुझाने में कामयाबी कम ही मिल पाती है.
नूंह में आबादी के अनुसार नहीं है फायर स्टेशन
अगर बात की जाए परयाप्त फायर स्टेशनों की तो नूंह जिले का इसमें काफी बुरा हाल है. जिले की राजधानी कहे जाने वाली बड़कली चौका या नगीना में कोई भी दमकल सेंटर या दमकल गाड़ी मौजूद नहीं है. जहां दमकल सेंटर हैं जैसे की नूंह, तावडू, फिरोजपूर झिरका और पून्हाना तो इनके बीच की दूरी 20 किलोमीटर से ज्यादा है और चिंता का विषय तो ये है कि गाड़ियों में पानी भरने के लिए विभाग के पास फायर इंटेंड नहीं है.
फायर स्टेशनों में स्टाफ की भारी कमी
आग बुझाने के यंत्रों से लेकर स्टाफ का अभाव है. आबादी के हिसाब से दमकल की गाड़ियां और बाइक कम हैं. कुल आधा दर्जन नियमित कर्मचारी हैं, तो करीब चार दर्जन से अधिक डीसी रेट के कर्मचारी लगाए हुए हैं. यही कारण है कि हर साल दर्जनों लोग और मवेशियों की जान चली जाती है.
बीते साल तंग गलियों में आग बुझाने के लिए दो बाइक दमकल विभाग ने नूंह में भेजी थीं लेकिन इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं. जिले में प्रतिदिन कोई न कोई आग की घटना जरूर होती है.
हरियाणा सरकार सतर्क पर पर्याप्त नहीं है व्यवस्था
हाल ही में हुए सूरत अग्निकांड के बाद अब प्रदेश सरकार सतर्क दिखाई पड़ती है. बढ़ती आबादी, रास्तों और बाजारों में बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए दमकल विभाग ने ऐसे इलाकों में आग से होने वाली भारी तबाही को रोकने के लिए सभी सुविधाओं से लैस बाइक खरीद कर दमकल केंद्रों पर भेज दी हैं. सरकार अग्निशमन सुरक्षा को लेकर सतर्क तो दिखाई पड़ रही है, लेकिन 14 लाख की आबादी वाले नूंह में इतनी कम व्यव्स्था ऊंट के मुंह में जीरे जैसी बात होगी.