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परंपरागत खेती छोड़ किसानों ने अपनाई खेती की नई तकनीक, अब हो रहा लाभ - नूंह बागवानी विभाग

हरियाणा के नूंह जिले के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़ नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे ( farming with new technology in nuh) हैं. इस नई तकनीक से खेती किसानी की न सिर्फ तस्वीर बदल रहे हैं बल्कि तकदीर भी संवार रहे हैं.

Farming With New Technology In Nuh
नूंह जिले में प्लास्टिक एवं लो टनल की खेती करने वाले तकरीबन सैकड़ों किसान हैं.

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Published : Feb 9, 2022, 10:36 PM IST

नूंह: हरियाणा के नूंह जिले का किसान भी बदल रहा है. समय के साथ-साथ सब्जी फसलों की नई तकनीक को अपनाकर किसानों के घरों में खुशियां दस्तक दे रही ( Farming With New Technology In Nuh) है. किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाने में जिला बागवानी विभाग की अहम भूमिका है. जिले का किसान अब खुले में खेती के बजाय प्लास्टिक एवं लो टनल की खेती अपना रहा है.

प्लास्टिक एवं लो टनल वाली खेती में टपका प्रणाली से सिंचाई होती है. यही नहीं किसानों को कई गुना ज्यादा लाभ होता है. सबसे खास बात तो यह है कि ऑफ सीजन में इन फसलों को लगाया जाता है. जब फसल बुवाई का सीजन आता है तब तक इस नई तकनीक से इन फसलों में फल आने लगता है. इसका अच्छा भाव किसान को मार्केट में मिलता है. जिला बागवानी अधिकारी डॉ दीन मोहम्मद ने बताया कि नूंह जिले में प्लास्टिक एवं लो टनल की खेती करने वाले तकरीबन सैकड़ों किसान हैं.

परंपरागत खेती छोड़ किसानों ने अपनाई खेती की नई तकनीक, अब हो रहा लाभ

इन किसानों ने 800 एकड़ भूमि में अलग-अलग कलस्टर में सब्जी फसलें लगाई हुई है. उन्होंने बताया कि चप्पन कद्दू सब्जी कि लो टनल खेती फरवरी महीने में की जाती है लेकिन इस नई तकनीक की बदौलत नवंबर महीने में इस सब्जी फसल को लगाया गया था जो फल दे रही है. किसानों को मार्केट में तकरीबन तीस रुपये प्रति किलो हिसाब इसका भाव मिल रहा है. उन्होंने कहा कि आम दिनों में 3-4 प्रति किलो बिकती है लेकिन नई तकनीक के माध्यम से किसान अपनी आमदन को कई गुना बढ़ा रहा है.

जिले का किसान अब खुले में खेती के बजाय प्लास्टिक एवं लो टनल की खेती अपना रहा है.

बागवानी अधिकारी ने कहा कि सरकार इसको बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान राशि भी देती है. किसानों की हौसला अफजाई करने के लिए बागवानी विभाग लगातार कैंप आयोजित करता रहता है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बागवानी योजना में अभी तक पूरी तरह से पोर्टल चालू नहीं है. जैसे ही पोर्टल चालू होगा इन किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जोड़ा जाएगा. डॉक्टर दीन मोहम्मद ने कहा कि 1 एकड़ पर 30000 तक जोखिम भत्ता मिलता है जबकि इसका प्रीमियम साढ़ें सात सौ प्रति एकड़ किसानों को देना होता है.

चप्पन कद्दू की खेती करने वाले किसानों की अगर बात करें तो वह इस खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

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जिला बागवानी अधिकारी ने कहा कि जिले में इस समय 24 एफपीओ काम कर रहे हैं जिनमें सैकड़ों किसान जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि 2-2 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है. पैक हाउस जिले में बनाए जा रहे हैं. किसान को चप्पन कद्दू की सब्जी का भाव पचास से साठ रुपये प्रति किलो मिले इसके प्रयास विभाग कर रहा है. चप्पन कद्दू की खेती करने वाले किसानों की अगर बात करें तो वह इस खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ऑफ सीजन में भी किसान नई तकनीक अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकता है. इसमें सिंचाई भी कम लगती है. जिला बागवानी विभाग के द्वारा एफपीओ को नई- नई तकनीक के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है. उसी का नतीजा है कि जब आम किसान ओपन खेती में चप्पन कद्दू की बिजाई करता है उस समय नई तकनीकी फसल में फल आता है लिहाजा ज्यादा से ज्यादा किसान इस खेती को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाने का काम करें.

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