नूंह:जिले में टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. नूंह जिला देश के उन जिलों में शामिल है, जिनमें टीबी रोग के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है.
जिले को नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किया है. जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए विभाग ने डॉक्टरों की 14 सदस्यीय टीम को चार दिवसीय दौरे पर भेजा है.
टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर डॉक्टर्स करेंगे क्षेत्र के टीबी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं की जांच
टीबी रोगियों को सरकार की स्कीमों का लाभ सही ढ़ंग से मिल रहा है कि नहीं इसको लेकर सरकार ने 14 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम चार दिवसीय दौरे पर हैं. इस दौरान डॉक्टरो ने पाया कि जिले में एलटी की कमी की वजह से 3 जांच केंद्र ही काम कर रहे हैं. वहीं मरीजों को सरकार द्वारा मिलने वाले प्रतिमाह 500 रुपये की मदद भी ठीक से नहीं मिल पा रही है.
इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक सुषमा अरोड़ा ने बताया कि मरीजों को खोजने और दवाई देने के साथ - साथ उनको मिलने वाली 500 रुपये की मदद ठीक से नहीं मिल पा रही है. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि जो व्यक्ति टीबी के मरीजों की सूचना देगा, उसे सरकार 500 रुपये की राशि देगी.
सरकार द्वारा दी जाने वाली यह मदद भी लोगों को ठीक से नहीं मिल पा रही है. उप निदेशक ने बताया कि नल्हड़ मेडिकल कॉलेज का लोगों को उतना सहयोग नहीं मिल पा रहा है, जितना मिलना चाहिए. सुषमा अरोड़ा ने कहा कि अभी सुधार की गुंजाइश है. उन्होंने कहा अगर सुधार होगा तभी टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ा जा सकता है.
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डॉक्टरों की कमी और नशे की लत के कारण बढ़ रही है मरीजों की संख्या
उप निदेशक स्वास्थ्य विभाग सुषमा अरोड़ा ने बताया कि नूंह जिले में निजी चिकित्सकों की संख्या दूसरे जिलों के मुकाबले कम है. उन्होंने कहा कि नूंह जिले में तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट इत्यादि का चलन अधिक है, जिसकी वजह से टीबी के मरीज हरियाणा के दूसरे जिलों से नूंह में अधिक हैं.