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Published : Oct 5, 2020, 12:49 PM IST

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हरियाणा के सबसे पिछड़े जिले में ये बेटियां जगा रहीं महिला उत्थान की अलख

नूंह जिले से पांच लड़कियों को सेल्फी विद डॉटर अभियान का ब्रांड एंबेसडर चुना गया है. ये वो युवतियां है जो आज के आधुनिक समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती हैं. इन लड़कियों ने खुद के सपनों को साकार करने के साथ-साथ आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर भी महिलाओं को सशक्त बनने के लिए जागरुक किया है.

daughters of nuh district became brand ambassadors of selfie with daughter campaign
'सेल्फी विद डॉटर' अभियान की ब्रांड अंबेस्डर बनी नूंह जिले की बेटियां, समाज में जगाई महिला उत्थान की अलख.

नूंह :नारी शक्ति है, सम्मान है, नारी गौरव है, अभिमान है, नारी ने ही रचा ये विधान है. इन चंद शब्दों के असल मायने हरियाणा का पिछड़ा जिला कहे जाने वाले नूंह की बेटियों ने दुनिया को समझाए हैं. नूंह जिले की ये पांच लड़कियां प्रदेश में महिला उत्थान की अलख जगाने निकल पड़ी हैं. इन बेटियों ने महिलाओं को कमजोर समझने और घर की चार दीवारी में कैद करके रखने वाले उन लोगों के सामने एक उदाहरण पेश किया है कि देश की नारी किसी से कमजोर नहीं और वो आज के आधुनिक समाज में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं.

हरियाणा के सबसे पिछड़े जिले में ये बेटियां समाज में जगा रहीं महिला उत्थान की अलख

बेटियों के हौसले देख इन्हें बनाया गया ब्रांड एंबेसडर

दरअसल वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु किए गए ड्रीम प्रोजेक्ट सेल्फी विद डॉटर के तहत युवतियों को सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है. हरियाणा के जींद जिले के निवासी और प्रयोग फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान ने बताया कि 4 महीनों तक 800 से ज्यादा लड़कियों का साक्षात्कार करने के बाद नूंह जिले से उन पांच लड़कियों को इस अभियान के लिए चुना गया है और इन्हें ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है. फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान के अनुसार पांचों लड़कियों को अलग-अलग प्रोजेक्ट दिए गए हैं. जिन पर वो 1 साल तक काम करेंगी, इसके बाद उनमें से एक युवती को राष्ट्रीय स्तर पर बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड एंबेस्डर बनाया जाएगा.

महिला उत्थान की अलख जगाने निकल पड़ी ये बेटियां

इसी कड़ी में गांव तावड़ू ब्लॉक के गाव पिपाका की रहने वाली रिजवाना ने इस अभियान से प्रेरित होकर अपने सपने को पूरा करने की ठानी और परिवार के दबाव में आकर बीच में छोड़ चुकी पढ़ाई को पूरा किया. अब रिजवाना गांव की उन युवतियों को भी जागरुक कर रही है जो जिंगदगी में आगे बढ़ना तो चाहती है लेकिन परिवार के दबाव के चलते बीच में ही पढ़ाई छोड़ चुकी थी.

सेल्फी विद डॉटर अभियान से जुड़कर प्रेरित हुई युवतियां

साकरस गांव की शहनाज बानो का कहना है कि हमारे गांव में बेटियों को किसी ना किसी कारण से पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती थी लेकिन उसने न केवल दोबारा पढ़ाई शुरू की बल्कि अपने जैसी और ड्रॉपआउट युवतियों को फिर से शिक्षा से जोड़ने का अभियान शुरु किया है. वहीं गांव टांई की रहने वाली अंजुम इस्लाम ने काफी संघर्ष के बाद अपनी पढ़ाई को जारी रखा और साथ ही सेल्फी विद डॉटर अभियान से जुड़कर आसपास के 3 गांव की लड़कियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित भी कर चुकी है. वहीं सेल्फी विद सिंगल विमेन अभियान के लिए चुनी गई पूजा ने बताया कि वो चाहती है कि समाज में पढ़ी लिखी महिलाओं को घर की चार दिवारी में कैद करके ना रखा जाए और भी आत्मनिर्भर बनने का पूरा मौका दिया जाए.

इस अभियान की शुरुआत करने वाले गांव बीबीपुर के सरपंच और फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान का कहना है कि अब इन पांचों युवतियों को अलग-अलग प्रोजेक्ट दिए गए हैं, जिन पर वो करीब 1 साल तक काम करेंगी और इसके बाद उनमें से एक लड़की को राष्ट्रीय स्तर पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड एंबेस्डर बनाया जाएगा.

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