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गरीबों पर कोरोना ने की बड़ी बेरहमी, हरियाणा में जरूरतमंद बच्चों ने पढ़ाई छोड़ की बाल मजदूरी - हरियाणा जरूरतमंद बच्चे बाल मजदूरी

कोरोना काल के दौरान हरियाणा के नूंह जिले में बाल मजदूरी बढ़ी हैं, जिला बाल संरक्षण विभाग का कहना है कि जिले में बढ़ती बेरोजगारी और गरीबी की वजह से लोग अपने बच्चों को रोजी-रोजी कमाने भेज देते हैं, हालांकि सरकार द्वारा स्पॉन्सरशिप एवं पोस्टर केयर योजना की मदद से कई गरीब बच्चों की मदद की जा चुकी है.

Nuh child labor Corona period
गरीबों पर कोरोना ने की बड़ी बेरहमी, हरियाणा में जरूरतमंद बच्चों ने पढ़ाई छोड़ की बाल मजदूरी

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Published : Feb 24, 2021, 2:17 PM IST

नूंह: देशभर में लॉकडाउन के दौरान हर वर्ग को एक मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा. कोरोना वायरस का प्रभाव व्यापारियों और लोगों की नौकरियों पर तो पड़ा ही है साथ ही बाल मजदूरी भी बढ़ी है. बात हरियाणा के नूंह जिले की करें तो यहां कोरोना काल में काफी संख्या में गरीब बच्चों द्वारा बाल मजदूरी करवाई गई है और वैसे भी हरियाणा में दूसरे जिलों के मुकाबले नूंह में बाल मजदूरों की संख्या बहुत ज्यादा है.

जिले में कोरोना काल में बढ़ी बाल मजदूरी

इस बारे में जब जिला बाल संरक्षण अधिकारी आबिद हुसैन से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि कोरोना काल में बहुत से बच्चों का स्कूल छूड़वा दिया गया और गरीबी ज्यादा होने की वजह से उनके माता-पिता ने बच्चों को काम पर लगवा दिया. आबिद हुसैन ने कहा कि जिले में बढ़ती बाल मजदूरी पर लगाम लगाने के लिए कई विभागों के साथ मिलकर रेस्क्यू चलाते रहते हैं.

गरीबों पर कोरोना ने की बड़ी बेरहमी, हरियाणा में जरूरतमंद बच्चों ने पढ़ाई छोड़ की बाल मजदूरी

200 बच्चों को सरकार की स्कीम का मिला लाभ

आबिद हुसैन ने बताया कि सरकार द्वारा उन बच्चों को चिन्हित किया जा रहा है जो अनाथ है या गरीबी की वजह से पढ़ाई नहीं कर पा रहें हैं, उन्हें स्पॉन्सरशिप एवं पोस्टर केयर योजना से जोड़ा जा रहा है और अभी तक ऐसे 200 बच्चों को इस स्कीम का लाभ मिल चुका है.

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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत पिछले कई सालों से काम कर रही चेतनालय एनजीओ की पदाधिकारी एनी सिस्टर ने बताया कि कोरोना काल में उनकी संस्था ने अभियान चलाया था और उन्होंने कहा कि कोरोना काल में उनकी संस्था ने मेवात जिले के पुनहाना, पिनगवां, नूंह इत्यादि कस्बों में बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के लिए रेस्क्यू चलाया था और इस दौरान उन्होंने कहा कि 10,15 बच्चे एक महीने में उनकी टीम ने रेस्क्यू किए हैं.

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समाज सेवी संगठनों का कहना है कि बढ़ती बेरोजगारी और फिर दो वक्त की रोटी कमाने के लिए मजबूरन माता-पिता को अपने बच्चे मजदूरी करने के लिए भेजने पड़े जिसकी वजह से उनकी पढ़ाई पर भी काफी बुरा असर हुआ है.

नूंह जिले में पहले ही गरीबी ज्यादा थी और रही सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी जिसके चलते मां-बाप को मजबूरन अपने बच्चों को बाल मजदूरी पर लगाना पड़ा. हालांकि कुछ समाज सेवी संगठन और सरकार द्वारा चलाई जा रही स्पॉन्सरशिप एवं पोस्टर केयर योजना की मदद गरीब बच्चों की जिंदगी सुधारने की कोशिश की जा रही है.

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