नूंह: राजधानी दिल्ली से 65 किमी दूर हरियाणा का नूंह जिला जो कभी मेवात के नाम से जाना जाता था आज वो पिछड़ेपन की वजह पहचाना जाता है. इस जिले को बने हुए 16 साल हो चुके हैं, लेकिन ये मेवात आज भी विकास के लिए तरस रहा है. इस पिछड़ेपन की वजह है कि इस जिले की तकदीर लिखने वाले बाबू जिलें में बैठते ही नहीं. यहां छोटे से छोटा काम करवाने के लिए नूंह के बाशिंदों को 70-75 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.
ये है नूंह के पिछड़ेपन का कारण
बता दें कि नूंह जिले को बने हुए 16 साल बीत गए हैं, लेकिन अभी भी अधिकारियों के ऑफिस पलवल और गुरुग्राम में ही है. एसई स्तर के अधिकारी भी जिले में नहीं बैठते है. इंडिया में सरकारी कामों की गति तो सभी को मालूम ही है, लेकिन भौतिक दूरी भी वजह बन जाए तो आप खुद ही कल्पना कर लीजिए इस जिले के हालात क्या होंगे?
प्रदेश के सबसे पिछड़े जिले नूंह में नहीं बैठते बड़े अधिकारी, कैसे होगा विकास ? अधिकारी अपने जिले की बजाय एनसीआर में बैठे हैं
ये जरूर है कि हफ्ते में सिर्फ 1 दिन बिजली विभाग के एसई लोगों की शिकायतों का निपटान करने के लिए आते हैं, लेकिन चंद घंटे बाद वो भी निकल जाते हैं. इसके अलावा पंचायती राज विभाग, सिंचाई विभाग, जन स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग जैसे बहुत से ऐसे विभाग है जिनके अधिकारी अभियंता आज भी दूर एनसीआर में बैठ रहते हैं.
सरकार करती है विकास का दावा
सरकार भले ही जिले के विकास को लेकर लाख दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है. सरकार को जल्द से जल्द इस जिले में अधीक्षक अभियंता स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए. ताकि यह भी राज्य के दूसरे जिलों के सामने तेजी से काम कर सके. ऐसा नहीं है कि लोगों ने इसके बारे शिकायत न की हो.
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जनता पिछले कई सालों से आला अधिकारियों के बैठाने की सरकारों से करती आ रही है, लेकिन इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं है. शायद नूंह के पिछड़ा होने की वजह से अधिकारी यहां ऑफिस ही ना बनाना चाहते हो. अगर सभी अधिकारियों के लिए कार्यालय व आवास जिले में बनाए जाए तो इस मेवात के कई समस्याओं का निपटान जल्द से जल्द होगा और नूंह के इन्फ्रॉस्ट्रक्चर मजबूत होने की संभावना बनी रहेगी. जिससे नूंह के लोग विकास को देख सकेंगे.