BPL परिवार के मकान पर भी चला बुलडोजर नूंह:हरियाणा के नूंह जिले में 31 जुलाई को हुई हिंसा के चले प्रशासन के बुलडोजर पर भले हाइकोर्ट के आदेश के बाद ब्रेक लग गया हो लेकिन तब तक कई घर जमीदोज़ हो चुके हैं. सरकारी बुलडोजर की ज़द में उन गरीबों के मकान भी आए हैं जिन्होंने सरकारी मदद से इन्हें खड़ा किया था. दंगों के बाद माना जा रहा है कि उपद्रवियों को सबक सिखाने के लिए प्रशासन ने बुलडोजर की कार्रवाई की. इस दौरान कई मकान और दुकानों को गिराया गया है.
सरकारी स्कीम से बने आशियानों पर भी चला बुलडोजर-नूंह हिंसा के बाद सरकारी बुलडोजर चला तो कुछ ऐसे मकान भी उसकी जद में आए, जो सरकारी स्कीम की बदौलत बने थे. नूंह जिले के नगीना कस्बे की बात की जाए, तो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए इंदिरा आवास योजना व प्रियदर्शनी आवास योजना के अंतर्गत 2012-13 में बनाए गए दो मकानों पर बुलडोजर चला है.
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नगीना कस्बे की अकबरी बेगम (59) ने बताया कि 11 साल पहले इंदिरा आवास योजना के तहत एक मकान पंचायत विभाग द्वारा मंजूर किया गया था. मकान बनाने के लिए 70 हजार रुपये की राशि भी मिली थी. दो किस्तें मिलीं लेकिन तीसरी किस्त आज तक नहीं मिल पाई है. अकबरी का कहना है कि वो बहुत गरीब परिवार से है और पाई-पाई जोड़कर अपनी मेहनत से घर पर 50 हजार रुपये खर्च किए थे. जिसमें एक कमरा और शौचालय बनाया गया था लेकिन जेसीबी से उसे पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. महिला ने बताया कि उसका पति भी एक महीने से घर पर नहीं है. गुजारा करना भी बहुत मुश्किल हो रहा है और ऊपर से सरकार ने उनका आशियाना भी छीन लिया है.
नूंह में हिंसा के बाद बीपीएल घरों पर बुलडोजर कार्रवाई आशियाना हुआ ढेर- वहीं, नगीना कस्बा के निवासी इसराइल खान (48) ने बताया कि उसके पिता के नाम पर प्रियदर्शनी आवास योजना के तहत सरकार ने मकान बनाने के लिए 90,000 रुपए दिए थे और 35000 उन्होंने अपनी जेब से लगाए थे लेकिन अब उनका मकान तोड़ दिया गया. इसराइल का कहना है कि उनका परिवार गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी गुजर बसर कर रहा है, मेहनत मजदूरी करके रोजी रोटी का गुजारा करते हैं. अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि बच्चों के पहने के लिए कपड़े तक भी घर के मलबे में दब गए हैं. उन्होंने कहा कि कार्रवाई के दौरान प्रशासन से सामान बाहर निकालने के लिए समय भी मांगा था, लेकिन उनको वहां से हटा दिया गया और अब सब कुछ उन ईंटों के नीचे दफन है जिन्हें जोड़ जोड़कर आशियाना बनाया था.
नूंह में ऐसे कई गरीब परिवार हैं, जिन पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है. इन परिवारों का कहना है कि हमारा सारा सामान भी इस मकान के साथ-साथ तोड़ दिया गया. यदि पहले से जानकारी होती तो अपना सामान और ठिकाना बदल लेते. गरीब परिवारों में बुलडोजर की इस कार्रवाई के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है.
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