नूंह:स्वास्थ्य विभाग के कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली आशा वर्कर परेशान हैं. मांगें पूरी नहीं होने से नाराज आशा वर्कर करीब 7 अगस्त से लगातार सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा प्रांगण में धरना दे रही हैं, लेकिन एक महीने से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी सरकार उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दे रही है.
आशा वर्कर सरकार के रवैये से बेहद नाराज हैं और उन्होंने कहा कि जब काम करना होता है तो आशा वर्कर की याद आती है और जब वेतन देना होता है तो सरकार उन्हें भूल जाती है. आशा वर्कर्स ने कहा कि एक मजदूर को भी 4 हजार से ज्यादा रुपये मिल जाते हैं. उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन यानि 18000 हजार रुपए चाहिए. आशा वर्कर्स ने आगे राज्य सरकार की बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ योजना पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वो भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको आज वेतन की वजह से धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.