नूंह: जब से देश में कोरोना वायरस आया है, तब से लोगों की जिंदगी बदल सी गई है. सोशल डिस्टेंसिंग और संक्रमण फैलने के डर से ज्यादातर काम अब ऑनलाइन होने लगे हैं. ऑनलाइन तरीके से काम को थोड़ा सरल बनाया जाए. शायद यही सोचकर हरियाणा सरकार ने आशा वर्करों को मोबाइल फोन दिए. ताकि घर बैठे ही आशा वर्कर डाटा एंट्री और सर्वे की जानकारी एमडीएम शिल्ड 360 नाम की एप के जरिए अपडेट कर सके. लेकिन ये एप अब विवाद की वजह बन गई है. आशा वर्करों ने इस एप को प्राइवेसी पर खतरा बताया है.
आशा वर्कर्स का आरोप है कि ये मोबाइल एप उनकी प्राइवेसी को खत्म कर देता है. क्योंकि उनके फोन में उनके निजी फोटो और वीडियो भी होते हैं. जिसपर विभाग एमडीएम शिल्ड 360 एप के जरिए नजर रखता है. आशा वर्कर्स का आरोप है कि उनकी लोकेशन तक विभाग ट्रेस करता है. कि वो कहां जा रही हैं और कहां नहीं. अगर वो छुट्टी पर भी होंगी तो भी विभाग उनपर नजर रखेगा. आशा वर्कर ने कहा कि अब वो इस फोन को विभाग को वापस देना चाहती हैं.
कोरोना महामारी के इस बुरे दौर में स्वास्थ्य विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली ये कोरोना वॉरियर्स आज सड़कों पर बैठने को मजबूर हैं. इनकी परेशानी की वजह है एमडीएम शिल्ड 360 नाम की मोबाइल एप. आशा वर्करों को स्वास्थ्य विभाग का ये एप रास नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि एक आशा वर्कर को दो-दो मोबाइल फोन रखने पड़ रहे हैं. आशा वर्कर सभी महिलाएं हैं. उनको दो-दो फोन हैंडल करने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.