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नारनौल में स्टोन क्रेशरों को बंद करने के लिए गूंजी आवाज, इंसान से लेकर जानवर तक हर कोई पड़ रहा बीमार - नांगल चौधरी स्टोन क्रेशर ग्रामीण विरोध

नांगल चौधरी विधानसभा के करीब एक दर्जन गांव के लोगों ने स्टोन क्रेशर बंद करने को लेकर सोमवार को लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया.

mahendragarh protest stone crashers
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Published : Apr 12, 2021, 6:58 PM IST

महेंद्रगढ़:स्टोन क्रेशरों के कारण फैल रहे प्रदूषण एवं बीमार हो रहे लोगों का आक्रोश आज जिला प्रशासन के खिलाफ फूट पड़ा. एनजीटी के आदेश के बाद भी जिला प्रशासन स्टोन क्रेशर संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा.

प्रशासिनक अधिकारियों के लचीले रवैये से नाराज नांगल चौधरी विधानसभा के करीब एक दर्जन गांव के लोगों ने सोमवार को लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया. रैली निकालकर अधिकारियों को कोसते हुए उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

लोगों में जिला प्रशासन के खिलाफ खासा आक्रोश था. लघु सचिवालय घेर के बैठे लोगों की भीड़ और उनकी नाराजगी का ही असर था कि उपायुक्त सहित अन्य अधिकारी लोगों के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. ग्रामीण नारेबाजी कर उपायुक्त को ज्ञापन लेने के लिए बाहर आने की बात कह रहे थे, लेकिन वह बाहर नहीं आए.

नारनौल में स्टोन क्रेशरों को बंद करने के लिए गूंजी आवाज, इंसान से लेकर जानवर तक हर कोई पड़ रहा बीमार

बाद में ग्रामीणों ने लघु सचिवालय में नायब तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. गौरतलब है कि जिला महेंद्रगढ़ के स्टोन क्रेशरों के खिलाफ स्थानीय इंजीनियर तेजपाल यादव ने एनजीटी में पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ एक याचिका लगाई थी. जिस पर एनजीटी कोर्ट ने जिले के 72 अवैध स्टोन क्रेशरों को तत्काल बंद करने के आदेश दिए थे.

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अधिकारियों की ढिलाई की वजह से इस आदेश को लागू नहीं किया गया. इस मामले को लेकर स्टोन क्रेशर संचालक सुप्रीम कोर्ट भी गए. सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर 2020 को इस केस को वापस एनजीटी को ट्रांसफर कर दिया गया. जिस पर 3 दिसंबर 2020 को एनजीटी ने 72 स्टोन क्रेशरों को तुरन्त बंद करने व इस मामले से संबन्धित तमाम भ्रष्ट अधिकारियों पर हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को कार्रवाई करने के अपने पिछले आदेश को यथावत लागू करने के आदेश दिए.

इसके साथ ही जिले के सभी क्रेशर प्रभावित ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच के आदेश नारनौल प्रशासन व हरियाणा प्रदूषण नियन्त्रण विभाग को दिए. इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि 4 महीने बीत जाने के बावजूद भी अभी तक एनजीटी कोर्ट के आदेशों पर कोई भी जमीनी कार्रवाई नजर नहीं आ रही है. क्षेत्र के हजारों लोग आज भी स्टोन क्रेशरों की उड़ती धूल, भयंकर पर्यावरण प्रदूषण व बीमारियों से घुट-घुट कर मरने को मजबूर हैं.

स्टोन क्रेशरों से उड़ती धूल की वजह से यहां के पेड़ पौधे, हरे की बजाय सफेद दिखाई देने लगे हैं. यहां की कृषि योग्य भूमि धीरे-धीरे तबाह होती जा रही है. क्रेशर जॉन क्षेत्र के धोलेडा, बिगोपुर व आसपास के गांवों के रहने वाले सैकड़ों परिवार परेशान होकर गांव छोड़कर शहर जाकर बस चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने एनजीटी कोर्ट के आदेश को लागू नहीं किया तो उन्हें बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

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