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पिंडदान के लिए पिहोवा नहीं आ रहे श्रद्धालु, तीर्थ पुरोहितों पर रोजी-रोटी का संकट

पिहोवा के तीर्थ स्थल पर हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां अपने पितरों के मोक्ष के लिए श्रद्धालु पिंडदान किया करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यहां इक्का-दुक्का श्रद्धालु ही पिंडदान के लिए पहुंच रहे हैं, इसलिए तीर्थ पुरोहितों पर भी रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है.

pandit and saints are facing financial problem during lockdown in kurukshetra
pandit and saints are facing financial problem during lockdown in kurukshetra

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Published : Aug 31, 2020, 7:12 PM IST

कुरुक्षेत्र: महाभारत युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र के पास बसी एक ऐसी नगरी है जहां पितरों को मुक्ति मिलती है. जनश्रुति के अनुसार विश्व का सबसे बड़ा युद्ध महाभारत था. जिसमें करोड़ों योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे. इस युद्ध के बाद युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण के साथ महाभारत युद्ध में मारे गए अपने सगे संबंधियों के श्राद्ध में पिंडदान के लिए पिहोवा पृथक तीर्थ में पहुंचे थे, क्योंकि यहां देवभूमि युग युगांतर से मृत आत्माओं की शांति के लिए शास्त्रों का पुराणों में वर्णित रही है.

आज भी हजारों यात्री दूर-दूर से श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए इस तीर्थ पर श्राद्ध करने आते हैं. यहां श्राद्ध देव का भी मंदिर है. हर साल श्राद्ध पक्ष में यहां लगभग 2 से 3 लाख श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन अब श्राद्ध की पूर्णिमा में 2 दिन बचे रह गए हैं और सरकार की तरफ से यहां कोई निर्देश जारी नहीं किए गए कि यहां श्राद्ध करने पर पाबंदी रहेगी या नहीं.

पिंडदान के लिए पिहोवा नहीं आ रहे श्रद्धालु, तीर्थ पुरोहितों पर रोजी-रोटी का संकट

क्या है पिहोवा का महत्व ?

पिहोवा तीर्थ पर करीब 250 से अधिक तीर्थ पुरोहित हैं. जिनके पास करीब 200 साल पुरानी वंशावली भी उपलब्ध है. अपने पितरों के पिंडदान के लिए कई बड़ी-बड़ी हस्तियां पिहोवा तीर्थ पर पहुंच चुकी हैं. इनमें गुरु नानक देव के वंशज, गुरु गोबिंद सिंह जी के वंशज, गुरु अमरदास जी के वंशज, गुरु तेग बहादुर, महाराजा रणजीत सिंह पटियाला के वंशज और कई बड़ी फिल्मी हस्तियां भी यहां अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ती के लिए पहुंची हैं.

रोजी-रोटी पर मंडराया खतरा

इस कोरोना काल में अमावस्या पर यहां श्रद्धालुओं के पहुंचने पर पाबंदी लगा दी जाती है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई भी दिशा निर्देश नहीं दिए गए कि श्राद्ध के दिनों में लोगों को यहां आने की मंजूरी है या नहीं. पिहोवा के सभी तीर्थ पुरोहितों पर आर्थिक मंदी का संकट गहरा रहा है.

तीर्थ पुरोहित विनोद दत्त का कहना है कि सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए और यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को पिंडदान करने की अनुमति दे देनी, चाहिए ताकि पुरोहितों की आजीविका भी चल सके और लोगों के अंदर आस्था भी बनी रहे.

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