कुरुक्षेत्र:हरियाणा के बहादुरगढ़ के रहने वाले नीरज बोंदवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. नीरज बोंदवाल का पूरा परिवार लकड़ी की हस्तकला में पारंगत है. इनकी बनायी कलाकृति कई जगहों पर लगायी गयी है. नीरज बोंदवाल ने हाल ही में कुरुक्षेत्र में मनाये गये अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मौके पर अपना स्टॉल लगाया था.
लकड़ी पर नक्काशी:लकड़ी पर नक्काशी एक समय लेने वाली प्रक्रिया है. नक्काशीदार लकड़ी के हस्तशिल्प बनाने में समय लगता है. क्योंकि इसमें हाथों से काम किया जाता है. मशीन का उपयोग बहुत कम होता है. नीरज बोंदवाल बताते हैं वे डेंटल टूल का इस्तेमाल करते हैं. इस कला को तैयार करने के लिए कोई स्पेशल टूल नही है, इसलिए ये लोग पुराने समय में मिलने वाली फुलझड़ियों के वेस्ट से टूल तैयार करते थे. अब फुलझड़ियों में आने वाली तार भी मजबूत नहीं होती इसलिए खुद से एक मजबूत तार का टूल तैयार किया है. नीरज बताते हैं कि लकड़ी को बिना काटे, बिना जोड़े कलाकृति तैयार की जाती है. इसे तैयार करने में दो घंटे से लेकर छह महीने तक का समय लगता है. लकड़ी की नक्काशी का उपयोग विभिन्न प्रकार की आकृतियां, मूर्तियां, यहां तक कि आभूषण बनाने के लिए किया जाता है.