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लकड़ी पर नक्काशी की कला में हरियाणा के शिल्पकार नीरज बोंदवाल बेजोड़, कई पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित - कुरुक्षेत्र न्यूज

Wooden handicraft: हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले के रहने वाले नीरज बोंदवाल लकड़ी पर नक्काशी की कला में निपुण हैं. इनकी कलाकृति लोगों को आकर्षित करती है. इनकी कलाकृति नई संसद में भी लगायी गयी है.

Wooden handicraft
लकड़ी पर नक्काशी की कला

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 26, 2023, 1:03 PM IST

कुरुक्षेत्र:हरियाणा के बहादुरगढ़ के रहने वाले नीरज बोंदवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. नीरज बोंदवाल का पूरा परिवार लकड़ी की हस्तकला में पारंगत है. इनकी बनायी कलाकृति कई जगहों पर लगायी गयी है. नीरज बोंदवाल ने हाल ही में कुरुक्षेत्र में मनाये गये अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मौके पर अपना स्टॉल लगाया था.

लकड़ी पर नक्काशी:लकड़ी पर नक्काशी एक समय लेने वाली प्रक्रिया है. नक्काशीदार लकड़ी के हस्तशिल्प बनाने में समय लगता है. क्योंकि इसमें हाथों से काम किया जाता है. मशीन का उपयोग बहुत कम होता है. नीरज बोंदवाल बताते हैं वे डेंटल टूल का इस्तेमाल करते हैं. इस कला को तैयार करने के लिए कोई स्पेशल टूल नही है, इसलिए ये लोग पुराने समय में मिलने वाली फुलझड़ियों के वेस्ट से टूल तैयार करते थे. अब फुलझड़ियों में आने वाली तार भी मजबूत नहीं होती इसलिए खुद से एक मजबूत तार का टूल तैयार किया है. नीरज बताते हैं कि लकड़ी को बिना काटे, बिना जोड़े कलाकृति तैयार की जाती है. इसे तैयार करने में दो घंटे से लेकर छह महीने तक का समय लगता है. लकड़ी की नक्काशी का उपयोग विभिन्न प्रकार की आकृतियां, मूर्तियां, यहां तक कि आभूषण बनाने के लिए किया जाता है.

कई पुरस्कारों से सम्मानित: नीरज बोंदवाल और उनका परिवार कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. 1979,1984,1996 सहित 5 बार इनके परिवार के लोगो को जहां नेशनल अवार्ड मिलने के साथ साथ शिल्पगुरु का अवार्ड भी मिल चुका है. नीरज बोंदवाल के अनुसार नई संसद में भी इनके द्वारा तैयार कलाकृति लगायी गयी है. यह हरियाणा से एकमात्र कलाकृति है जिसका नई संसद के लिए चयन किया गया था. इसे बनाने में 18 दिन लगा था. वही भारत मंडपम में इनकी कलाकृति देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भेंट की गयी थी. नीरज कहते है की वो समान बेचने के लिए नहीं बल्कि अपनी कला से लोगों को रूबरू कराने के लिए अपने स्टॉल लगाते हैं. लोगों को कला के बारे में जानकारी देने के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के मौके पर अपना स्टॉल लगाया था.

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