कुरुक्षेत्र:अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के समापन समारोह में शनिवार को 18000 विद्यार्थियों द्वारा वैश्विक गीता का पाठ किया गया. कार्यक्रम का आयोजन धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में किया गया. यह पाठ केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया गया. इस दौरान एक ही आह्वान था एक मिनट एक साथ गीता पाठ, जो जहां पर हो वहीं पर 1 मिनट गीता का पाठ करें. वैश्विक गीता पाठ समारोह में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, RSS राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार व साधु संत भी मौजूद रहे. बता दें कि इंटरनेशनल गीता महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम 24 दिसंबर तक चलेंगे.
गीता महोत्सव में पहुंचे असम के मुख्यमंत्री: असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा ने हरियाणा सरकार का धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा कि पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में असम को पार्टनर राज्य बनाया है. हेमंत बिस्वा ने जहां गीता को लेकर अपने भाव प्रकट किए तो वहीं उन्होंने कहा कि हमारे संविधान का मूल आधार वेद, उपनिषद और भगवत गीता से हुआ है. मैं संविधान को हमेशा मानता हूं. भारत के संविधान को हिंदू नहीं बनाते अगर भारत संविधान सभा में हिंदू नहीं होते तो हमारे संविधान का आधार ऐसा नहीं होता. हिंदू मानते हैं वसुदेव कुटुंबकम सर्व धर्म समान.
'अधर्म के ऊपर विजय पाना सनातन का लक्ष्य': इसलिए आज भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है, एक समय में दो संविधान बनाए गए थे एक पाकिस्तान में और एक भारत में बनाया गया था. पाकिस्तान का संविधान इस्लाम के ऊपर बनाया गया था. लेकिन भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष हुआ और हिंदुओं ने भगवत गीता और उपनिषद के ऊपर आधारित है. भारत की संस्कृति एक प्रकार से भगवान कृष्ण की संस्कृति है. असम के मुख्यमंत्री ने कहा अधर्म के ऊपर विजय पाना सनातन का लक्ष्य है. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अधर्म के ऊपर धर्म का शासन बने, ऐसा ही आकार आज देश में बन रहा है.
'गीता पाठ से एकरूपत का मिला संदेश': मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज के इस विश्वव्यापी गीता पाठ कार्यक्रम में एक साथ 18 श्लोकों का उच्चारण हुआ. इस बार के गीता अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में 30 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार लेकर गई है. गीता का संस्कार हमें हमारे युवा शक्ति में संचारित करना होगा. कर्म करो फल की चिंता न करने का संदेश गीता देती है. गीता के संदेश को जीवन का सिद्धांत मान कर 2 करोड़ 80 लाख लोगों को हमने परिवार माना. आज एक मिनट एक साथ गीता के पाठ से एकरूपता का संदेश मिला है.