कुरुक्षेत्र: भारत सरकार ने दिसंबर 2019 से देश के सभी चार पहिया वाहनों पर फास्टैग लगाना अनिवार्य किया था. ताकि टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतार को कम किया जा सके. लोगों का टाइम बच सके, इंधन की भी बचत हो और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिल सके. ऐसे में ईटीवी भारत हरियाणा ने ग्राउंड जीरो पर जाकर ये जानने की कोशिश की कि क्या सच में फास्टैग की प्रणाली सही से काम कर रही है या नहीं. क्या इस प्रणाली से टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़ कम हुई है. इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए हमने फास्टैग उपभोक्ताओं से बातचीत की.
ये हैं फास्टैग के फायदे
बातचीत के दौरान यात्रियों ने फास्टैग के कई फायदे गिनवाए. यात्रियों ने कहा कि फास्टैग से उन्हें टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी-लंबी लाइनों से छुटकारा मिला है. इसके साथ ही उनके समय की बचत हो रही है. टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम की वजह से इंधन भी बच रहा है.
एक तरफ यात्रियों को टोल प्लाजा पर जाम से निजात मिली तो दूसरी तरफ टाइम और इंधन की भी बचत हुई. फिलहाल तो 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग फास्टैग का इस्तेमाल कर रहे हैं. फास्टैग नहीं लगाने वालों से दोगुना दाम भी लिया जा रहा है. कुछ यात्री इसकी खूबियां बता रहे हैं तो कुछ खामियां भी. इस फास्टैग से सबसे ज्यादा नुकसान टोल प्लाजा के पास के गांव में रहने वाले लोगों को हुआ है.
बैलेंस खत्म होने से पहले रिचार्ज जरूर करें
दरअसल टोल प्लाजा के 10 किलोमीटर के क्षेत्र में आने वाले गांव के लोगों को टैक्स में छूट मिली है. वो अपना स्थानीय आईडी कार्ड दिखाकर बिना टोल दिए सफर करते थे. लेकिन अब फास्टैग की वजह से उन्हें ना चाहते हुए भी टैक्स देना पड़ रहा है. अगर आपने फास्टैग लगवाया है और समय पर उसमें रिचार्ज नहीं करवाया तो भी आपको नुकसान हो सकता है. ऐसी सूरत में आपको ज्यादा पैसे देने होंगे. इसलिए फास्टैग में न्यूनतम 150 रुपये रखना जरूरी है. घरौंडा टोल मैनेजर मनीश कुमार से जब ईटीवी भारत हरियाणा से इसके समाधान के बारे में बताया.
टोल मैनेजर मनीश कुमार ने बताया कि अब लोकल लोगों के लिए फास्टैग में उनके स्थानीय आईकार्ड को मर्ज किया जा रहा है. जिससे उनकी ये समस्या खत्म हो जाएगी. वहीं जो लोग फास्टैग में कम बैलेंस होने पर रिचार्ज नहीं करवा रहे तो उनसे ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं.
कोरोना महामारी को फैलने से रोकने में भी फास्टैग एक बड़ी भूमिका निभा रहा है. फास्टैग की वजह से टोल प्लाजा पर यात्रियों को किसी भी तरीके से मानवीय संपर्क नहीं होता. रोजाना हजारों वाहन चालक टोल प्लाजा कर्मियों के साथ कैश, कार्ड और पेपर स्लिप के लेनदेन के बगैर आवाजाही कर रहे हैं. इससे वाहन चालकों के साथ-साथ टोल कर्मी भी कोरोना के संक्रमण से काफी हद तक सुरक्षित हैं.
क्या है फास्टैग?
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) का इस्तेमाल होता है. इस टैग को वाहन के विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है. जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा के पास आती है, तो टोल प्लाजा पर लगा सेंसर आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर लगे फास्टैग को ट्रैक कर लेता है और टोल की राशि विंडस्क्रीन पर लगे प्रीपेड कार्ड यानी फास्टैग से कट जाती है.