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किस्सा हरियाणे काः इस गांव में शराब की बोतल चढ़ाने से पूरी होती है हर मन्नत ! भीम से जुड़ा है रोचक रहस्य

'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको लेकर चलते हैं कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक सारसा गांव में. इस गांव का जिक्र महाभारत में भी हुआ है. सारसा गांव वही जगह है जहां विशालकाय भीम ने अपने खड़ाउ साफ किए थे और उसके बाद यहां एक तीर्थस्थल भी बना था.

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Published : Aug 5, 2019, 1:44 AM IST

किस्सा हरियाणे का

कुरुक्षेत्रः हमारे देश में आज भी कुछ ऐसे रहस्य हैं, जिनका जिक्र हजारों सालों से होता रहा है. लेकिन इन रहस्यों की तह तक आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है. 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको महाभारत काल से जुड़े एक रहस्यमय किस्सों के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां महाभारत युद्ध के दौरान विशालकाय भीम ने अपने खड़ाउ साफ किए थे और आज वो एक तीर्थ स्थल है.

यहां देखें वीडियो.

भीम की खड़ाउ की मिट्टी से बनी चिलचिला तीर्थ
ईटीवी भारत हरियाणा की टीम पहुंची कुरुक्षेत्र से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सारसा गांव. जहां युद्ध के दौरान विशालकाय भीम ने सारसा गांव की सीमा पर अपनी मिट्टी में लथपथ खड़ाउ को साफ किया था. माना जाता है कि भीम के खड़ाउ पर इतनी मिट्टी जमा थी कि उस मिट्टी से बड़े-बड़े चार टीले बन गए. जिन्हें आज चिलचिला तीर्थ के नाम से जाना जाता है. महाभारत से जुड़ी ये कहानी तो पुराणों में भी शामिल है, लेकिन इन टीलों पर करीब 100 साल पहले बसे साधु बाबा की कहानी केवल गांव तक ही सीमित है. ग्रामीणों ने बताया कि बाबा रोहड़ा नाथ अपने साथ लगभग 50 से 60 कुत्तों को भी रखते थे. जिनको गांव से मांगने के बाद उनको भी खाना दिया करते थे.

शराब पीने के शौकिन थे साधु बाबा!
बताया जाता है कि यहां जो साधु रहा करते थे. वो पंजाब पुलिस के एक जवान थे. जिन्होंने मोह माया त्याग कर साधु वेश धारण कर लिया था. मान्यता है कि इस साधु के मुंह से निकली हर बात सच हुआ करती थी. साधु ने यहां जिंदा समाधि भी ली थी. ये साधु बाबा शराब पीने के शौकीन थे और अगर आज भी यहां कोई शराब की बोतल का जोड़ा चढ़ाने आता है तो उसकी हर मुराद पूरी होती है. यही नहीं गांव में एक प्लेन क्रैश की घटना के लिए भी साधु बाबा ने पहले से सचेत किया था. लोगों का कहना है कि साधु बाबा ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि गांव में कोई विमान घटना होने वाली है.

एक और तीर्थ स्थान
लगभग 500 एकड़ में फैला ये जंगल और 4 टीले आज यहां के वन विभाग के अधीन हैं, लेकिन यहां पेड़ काटने की इजाजत ना तो आम इंसान को है और ना ही सरकार को. महाभारत कालीन सारसा गांव अपने-आप में इतिहास के उन झरोखों को समेटे हुए है जो महाभारत और ऋषि मुनियों की याद को ताजा करवाता है. 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि में स्थित सारसा गांव शालीहोत्री मुनी से संबंधित माना जाता है. इसीलिए गांव में शालीहोत्री नामक महाभारत कालीन तीर्थ भी है.

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