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कुरुक्षेत्र: 35 साल बाद शादी करने वालों के बच्चों में बढ़ रही है डाउन सिंड्रोम की बीमारी

डॉक्टर्स के मुताबिक अगर कोई महिला 35 साल की उम्र के बाद शादी करती है तो उनके बच्चे में इस बीमारी की आशंका ज्यादा होती है. यही बात पुरुष पर भी लागू होती है. अगर कोई पुरुष 45 साल की उम्र के बाद शादी करता है तो उनके बच्चे में भी इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा होता है.

Down syndrome disease children in kurukshetra
Down syndrome disease children in kurukshetra

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Published : May 29, 2020, 8:15 PM IST

Updated : May 30, 2020, 11:45 AM IST

कुरुक्षेत्र: बच्चों में सिंड्रोम की बीमारी गंभीर समस्या बनी हुई है. नेशनल सर्वे के मुताबिक 700 बच्चों में से एक बच्चा डाउन सिंड्रोम का शिकार है. डाउन सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है. जिसमें बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास आम बच्चों जैसा नहीं हो पाता. 35 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को जन्म देने की आशंका ज्यादा होती है.

सिंड्रोम एक आनुवंशिक समस्या है, जो क्रोमोजोम की वजह से होती है. गर्भावस्था में भ्रूण को 46 क्रोमोजोम मिलते हैं, जिनमें 23 माता और 23 पिता के होते हैं. लेकिन डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चे में 21वें क्रोमोजोम की एक प्रति ज्यादा होती है, यानी उसमें 47 क्रोमोजोम पाए जाते हैं, जिससे उसका मानसिक और शारीरिक विकास धीमा हो जाता है.

35 साल बाद शादी करने वालों के बच्चों में बढ़ रही है डाउन सिंड्रोम की बीमारी

डॉक्टर्स के मुताबिक अगर कोई महिला 35 साल की उम्र के बाद शादी करती है तो उनके बच्चे में इस बीमारी की आशंका ज्यादा होती है. यही बात पुरुष पर भी लागू होती है. अगर कोई पुरुष 45 साल की उम्र के बाद शादी करता है तो उनके बच्चे में भी इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा होता है.

डॉक्टर सुखदीप कौर ने बताया कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों का विकास बाकी बच्चों के मुकाबले बहुत कम होता है. डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चों में लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं. ऐसे बच्चों की मांसपेशियां कम ताकतवर होती हैं. हालांकि उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की ताकत बढ़ती रहती है, लेकिन सामान्य बच्चों की तुलना में बैठना, चलना या उठना सीखने में ज्यादा समय लेते हैं. बौद्धिक, मानसिक और शारीरिक विकास भी इन्में धीमा होता है.

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इस बीमारी में कई बच्चों के चेहरे पर अजीब से लक्षण दिखाई हैं, जैसे कान छोटा होना, चेहरा सपाट होना, आंखों का तिरछापन, जीभ बड़ी होना आदि. बच्चों की रीढ़ की हड्डी में भी विकृत हो सकती है. कुछ बच्चों को पाचन की समस्या भी हो सकती है तो कई बच्चों को किडनी संबंधित परेशानी हो सकती है. इनकी सुनने-देखने की क्षमता कम होती है.

डॉक्टर सुखदीप ने कहा कि इस तरह के केस में अभिभावकों को सकारात्मक रहना चाहिए. बच्चों को प्रोटिन युक्त खाना देना चाहिए. ऐसे बच्चों को ज्यादा सुरक्षित जोन में भी नहीं रखना चाहिए. इसमें अच्छी खबर ये है कि डाउन सिंड्रोम से पीड़ित अब पहले से लंबा जीवन जीने लगे हैं.

Last Updated : May 30, 2020, 11:45 AM IST

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