कुरुक्षेत्र:वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है. पूरी दुनिया में कारोबारी गतिविधियों पर बहुत नकारात्मक असर पड़ा है. वहीं लोगों के आने जाने पर लगी पाबंदी की वजह से पर्यटन उद्योग भी बर्बाद हो चुका है. कुछ ऐसी ही हालत धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के पर्यटन उद्योग की हुई है.
लॉकडाउन ने तोड़ी कारोबारियों की कमर!
कुरुक्षेत्र को हरियाणा का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन स्थल कहा जा सकता है. यहां सूर्य ग्रहण और गीता जयंती समारोह के दिनों में 40 से 50 लाख लोगों की भीड़ पहुंचती थी, लेकिन इस साल यहां मंदिरों में सन्नाटा छाया रहा. ना तीर्थ स्थल सजे, ना मेला लगा, ना श्रद्धालु आए, होटलों में बुकिंग नहीं हुई, प्रसाद के स्टाल नहीं लगे, डेकोरेशन वालों को काम नहीं मिला और बाजार में बस सुन्न मायूसी छाई रही. यानी कि इस साल कुरुक्षेत्र पर्यटन से जुड़ा कारोबार पूरी तरह से डूब गया.
आर्थिक संकट से जूझ रहे पंडित
वहीं यहां कर्मकांड करवाने वाले पंडितों की आजीविका कोरोना महामारी के चलते खत्म हो गई है. पूरे जिले में करीब 378 छोटे बड़े मंदिर है. लॉक डाउन के शुरुआती तीन महीनों में इन मंदिरों के अंदर कोई भी दर्शनों के लिए नहीं पहुंचा, क्योंकि सरकार के आदेशानुसार इन सभी मंदिरों के कपाट बंद किए गए थे. जिससे इन मंदिरों में रहने वाले पुजारी भी आर्थिक संकट के दौर से गुजरे, फिलहाल स्थिति समान्य नहीं हुई.