कुरुक्षेत्र: सूबे के मुख्यमंत्री प्रदेश को भले ही प्रदेश को नशा मुक्त करने के दावे कर रहे हों लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. कुरुक्षेत्र के 17 सेक्टर में भीख मांगने वाले बच्चे खुले सड़क पर घूमते हुए नशा करते हैं. इन बच्चों की उम्र 5 से 10 साल तक है.
नशे की गर्त में जा रहे मासूम
जिस उम्र में बच्चों के हाथ में कलम होनी चाहिए लेकिन बद किस्मती ने उन हाथों में नशा थमा दिया. बच्चे 5 से 10 साल की उम्र कल्पनाओं को संजोते हैं. बचपन अच्छाई बुराई और जीवन के उतार चढ़ाव से परे होता है. अगर वही बचपन लड़खड़ा जाए तो क्या होगा? ये सोचने वाली बात है.
कलम पकड़ने की उम्र में हाथ में नशा, देखें वीडियो कुछ लोग चंद रुपये की खातिर इन बच्चों के बचपन से खेल रहे हैं. सरकार का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है. कुरुक्षेत्र के भीख मांगकर गुजर बसर करने वाले ये मासूम बच्चे नशे का शिकार होते जा रहे हैं. इनका नशा करने का तरीका आप देखेंगे तो दंग रह जाएंगे. ये बच्चे सुलोचन और सफिक्स को पहले पॉलीथिन में डालते हैं और फिर उसे गुब्बारे की तरह फुलाते हैं. इसके बाद उसकी गंध को सूंघकर नशा करते हैं.
भीख मांगकर नशा करते हैं बच्चे
बड़ी बात ये है कि ये नशा काफी सस्ता और आसानी से मिल जाता है. नशे के लिए ये पूरा दिन बाजार में भीख मांगते हैं. जिससे नशे लायक पैसे का जुगाड़ हो सके. इन मासूम बच्चों को जितनी आसानी से नशा मिल रहा है उतना ही मुश्किल हो रहा है इन बच्चों का स्कूल जाना हो रहा है.
दिनभर भीख मांगने वाले बच्चे शाम होते ही नशे की आगोश में चले जाते हैं. जो पैसे बचते हैं वो मां-बाप ले लेते हैं या वो रख लेते हैं जो इनसे भीख मंगवा रहे हैं. फिर अगला दिन होता है और फिर शाम. इनकी जिंदगी बस ऐसे सुबह शाम में बर्बाद हो रही है. जिसकी न किसी को फिक्र है न गरज. इन बच्चों के माता-पिता का भी इनकी ओर कोई ध्यान नहीं है.
नशे से लड़खड़ाता बचपन
मीडिया में बात जाने के बाद सीडब्ल्यूसी चेयरमैन कृष्ण पांचाल मौके पर पहुंचे. उन्होंने तीन बच्चों को हिरासत में ले लिया. इसके बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि तीन बच्चों को हिरासत में लिया गया है. इन बच्चों की काउंसलिंग की जाएगी. जो लोग बच्चों को नशा बेचते हैं उन पर प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाएगी.