कुरुक्षेत्र:हरियाणा के विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर की नियुक्ति को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल ये है कि किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति कितनी पारदर्शी है? साथ ही हरियाणा में कुलपति की नियुक्ति को लेकर तय प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं?
इन्हीं सवालों का जवाब जानने के लिए हमारी टीम ने हरियाणा के कई शिक्षा विदों से बात की. शिक्षा क्षेत्र में कई पदों पर अहम सेवाओं दे चुके मदन मोहन गोयल कहते हैं कि हरियाणा में जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है वो दूसरे राज्यों से बिल्कुल मेल नहीं खाती. उन्होंने कहा कि हरियाणा में कुलपति की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप होता है और साफ कहें तो मुख्यमंत्री ही कुलपति की नियुक्ति करता है.
कैसे होती है विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति?
किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर सर्च कमेटी बनाई जाती है. सर्च कमेटी में 10 मेंबर होते हैं और वो 3 आवेदनकर्ताओं को कुलपति के पद के लिए सिलेक्ट करते हैं. उसके बाद उनका इंटरव्यू लेकर संबंधित रिपोर्ट को राज्य के गवर्नर को भेज दी जाती और राज्यपाल ही ये तय करते हैं कि विश्वविद्यालय का कुलपति कौन होगा.
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