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कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का पूरा गणित, जानें कौन देगा किसे टक्कर

कुरुक्षेत्र में महाभारत के रण में मुकाबला 2 पक्षों के बीच था पर इस बार के चुनावी रण का मुकाबला बहुकोणिय है नायाब सिंह सैनी भाजपा से उमीदवार मोदी लहर में नाव को किनारे लगा सकते हैं ओर दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी से उम्मीदवार निर्मल सिंह कहीं ना कहीं पार्टी के वजूद से पार पा सकते हैं. जजपा और आप गठबंधन के उमीदवार जयभगवान शर्मा उर्फ डीडी शर्मा स्थानीय उम्मीदवार के चलते जीत तक पहुंच सकते हैं.

कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का पूरा गणित, जानें कौन देगा किसे टक्कर

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Published : Apr 30, 2019, 8:15 PM IST

कुरुक्षेत्र: चुनावी मैदान में कुरुक्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशियों समेत 25 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. कुरुक्षेत्र से बड़ी पार्टी बीजेपी के प्रत्याशी हरियाणा प्रदेश में मंत्री नायाब सिंह सैनी चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस पार्टी से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह कुरुक्षेत्र से अपनी ताल ठोकी है,एलएसपी-बीएसपी गठबंधन से शासी सैनी,जजपा और आप के गठबंधन से डीडी शर्मा वहीं इंडियन नेशनल लोकदल से पार्टी सुप्रीमो के पोते अर्जुन चौटाला भी चुनावी रण में हैं.

दो प्रत्याशियों पर टिकी जनता की नजर
कुरुक्षेत्र लोकसभा में पूर्व में सांसद रहे नवीन जिंदल के चुनाव लड़ने की प्रबल संभावनाएं थीं, लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बदलकर नवीन जिंदल की जगह पर अंबाला के निर्मल सिंह को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के मैदान में उतार दिया. वहीं नवीन जिंदल के ना आने से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी नायब सिंह सैनी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं, हालांकि यहां से पूर्व में सांसद रहे राजकुमार सैनी भी नारायणगढ़ के रहने वाले थे और अब की बार चुनावी मैदान में भारतीय जनता पार्टी द्वारा उतारे के प्रत्याशी नायब सिंह सैनी भी नारायणगढ़ से हैं.

इनेलो और आप+जेजेपी के दिग्गज भी मैदान में
इनेलो ने किसी स्थानीय नेता को टिकट देने की बजाय अर्जुन सिंह चौटाला को मैदान में उतारा है. वहीं जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी ने अपना साझा उम्मीदवार जय भगवान शर्मा डीडी के रूप में उतारा है. उनकी हालत यहां इतनी अच्छी नहीं कही जा सकती जितनी दूसरे उम्मीदवारों की है.

बाहरी उम्मीदवारों के खिलाफ लहर!
अब की बार धर्म नगरी में इस बात को लेकर वोटरों में चर्चा है कि हर बार यहां से बाहरी प्रत्याशी को बनाकर जनता खुद को ठगा महसूस करती है. अगर बाहरी और लोकल का मुद्दा यहां जोर पकड़ता है तो यहां चुनावी समीकरण बदल भी सकते हैं. फिलहाल गेहूं के सीजन के चलते उम्मीदवारों के कार्यालय सूने नजर आ रहे हैं.

कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का ज्योग्राफिकल व्यू
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट तीन जिलों कैथल, कुरुक्षेत्र और यमुनानगर तक फैली हुई है. यमुनानगर का रादौर विधानसभा क्षेत्र, कुरुक्षेत्र की लाडवा, शाहाबाद सुरक्षित, थानेसर और पिहोवा विधानसभा सीटें हैं. इसी तरह कैथल जिले की गुहला सुरक्षित, कलायत, कैथल तथा पूंडरी विधानसभा क्षेत्र हैं.


कुरुक्षेत्र लोकसभा से कौन-कौन सांसद रहे

  1. 1977 रघुवीर सिंह
  2. 1980 मनोहर लाल
  3. 1984 हरपाल सिंह
  4. 1989 गुरदयाल सिंह सैनी
  5. 1991 तारा सिंह
  6. 1996 ओमप्रकाश जिंदल
  7. 1998 कैलाशो सैनी
  8. 1999 कैलाशो सैनी
  9. 2004 नवीन जिंदल
  10. 2009 नवीन जिंदल
  11. 2014 राजकुमार सैनी


जातीय समीकरणों का खेल!
जातीय समीकरण का भी कुरुक्षेत्र की चुनावी जंग में अहम रोल है. यहां पर जाट वोटर सबसे ज्यादा हैं, लेकिन यहां से ज्यादातर सांसद सैनी बिरादरी से हैं, शायद यही वजह है कि दो पार्टियों ने सैनी उम्मीदवार उतारे हैं, बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा भी गरम है.


ये है कुरुक्षेत्र की कुल जातिय समीकरण

  • जाट- 389011
  • ब्राह्मण- 100169
  • जट्ट सिख- 88680
  • ओबीसी- 398400
  • अनुसूचित जाति- 33942


इन पार्टियों के बीच रहा अभी तक मुख्य मुकाबला
कुरुक्षेत्र लोकसभा में 1977 के बाद आईएनएलडी और कांग्रेस के बीच में ही मुख्य मुकाबला चलता रहा है. अधिकांश कांग्रेस और आईएनएलडी के ही सांसद कुरुक्षेत्र लोकसभा से रहे हैं 2014 में 34 साल बाद मोदी लहर में पहली बार बीजेपी के प्रत्याशी राजकुमार सैनी ने अपनी जीत का परचम लहराया था और सांसद बने थे.

2019 में कुरुक्षेत्र लोकसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा एक बडे़ निर्णायक के तौर पर किसी के भी पक्ष में डेंट डाल सकता है. माना जा रहा है कि कुरुक्षेत्र लोकसभा में आने वाले 9 विधानसभा क्षेत्रों में डेरा अनुयायियों की संख्या करीब सवा लाख वोटर हैं. डेरे के सूत्रों का कहना है कि 10 या 11 मई को मतदान से पहले डेरे के राजनीतिक विंग का इशारा डेरा अनुयायियों को हो जाएगा कि मतदान किसके पक्ष में करना है.

2014 में पहली बार बीजेपी का सांसद बना था
भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार सैनी ने 2014 में कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और उन्होंने कांग्रेस पार्टी से दो बार लगातार सांसद रह चुके उद्योगपति नवीन जिंदल को भारी मतों से हराया. इस चुनाव में राज कुमार सैनी को करीब 37 फीसदी वोट के साथ 4,18,112 मत मिले थे, जबकि इंडियन लोकदल (INLD) के बलबीर सैनी को 25 फीसदी वोट के साथ कुल 2,88,376 वोट मिले थे, जबकि 2004 और 2009 में कुरुक्षेत्र से सांसद रहे कांग्रेस के नवीन जिंदल को 2,87,722 वोट मिले थे. जिंदल तीसरे नंबर पर रहे थे.

डेरे का भी होगा असर!
इस बार कुरुक्षेत्र लोकसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा अहम रोल प्ले कर सकता है. किसी के भी पक्ष में डेंट डाल सकता है. माना जा रहा है कि कुरुक्षेत्र लोकसभा में आने वाले 9 विधानसभा क्षेत्रों में डेरा अनुयायियों की संख्या करीब सवा लाख वोटर हैं. डेरे के सूत्रों का कहना है कि 10 या 11 मई को मतदान से पहले डेरे के राजनीतिक विंग का इशारा डेरा अनुयायियों को हो जाएगा कि मतदान किसके पक्ष में करना है.

कुरुक्षेत्र लोकसभा बनने के बाद का इतिहास
कुरुक्षेत्र लोकसभा बनने के बाद से क्षेत्र में सैनी समुदाय के लोगों ने 5 बार सांसद बनकर क्षेत्र का नेतृत्व किया तीन बार सिख समुदाय के नेताओं ने सांसद बनकर सत्ता संभाली और 3 बार ही वैश्य समाज के नेता रहे सांसद जाट बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद भी कुरुक्षेत्र लोकसभा के जातीय समीकरण का चुनाव पर कोई खास असर देखने को नहीं मिला 1977 से अब तक कुरुक्षेत्र लोकसभा में एक बार भी किसी जाट नेता ने अपनी जीत का परचम अभी तक नहीं लहराया है.

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कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट की करें तो 1977 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट का गठन हुआ था. कुरुक्षेत्र से धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. मान्यता है कि कुरुक्षेत्र में ही महाभारत की लड़ाई हुई थी, और भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश यहीं दिया था. कुरूक्षेत्र भ्रमण की शुरूआत आप जिले के धार्मिक स्थानों से कर सकते हैं. थानेसर में स्थित पवित्र ब्रह्मा सरोवर भारत के चुनिंदा खास पौराणिक जलाशयों में गिना जाता है. यह विश्व प्रसिद्ध स्थल है जिसका जिक्र 12 वीं शताब्दी के विद्वान अलबरूनी ने अपनी भारत यात्रा के बाद किया था. धार्मिक स्थलों के अलावा आप यहां के ऐतिहासिक स्थल भी हैं. शेख चिल्ली का मकबरा, कोस मीनार मध्ययुगीन मील का पत्थर हैं जो कुरुक्षेत्र के विभिन्न कस्बों में मौजूद हैं.

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