करनाल: हरियाणा के किसानों को इस बार बेमौसम बारिश से बहुत नुकसान हुआ है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हरियाणा में करीब 70 लाख एकड़ गेहूं की फसल प्रभावित हुई है. हरियाणा के किसानों पर अब तक कुदरत की पड़ी ये सबसे बड़ी मार है. बारिश की वजह से गेहूं की चमक फीकी पड़ गई है. गेहूं का दाना पहले के मुकाबले कमजोर भी हुआ है. इस बीच केंद्र सरकार के गेहूं की खरीद पर वैल्यू कट की नोटिफिकेशन जारी कर दी, जिसके बाद विपक्ष से लेकर किसानों और आढ़तियों ने इस फैसले पर सवाल उठा दिए. हालांकि हरियाणा सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है. आइये जानते हैं कि आखिर क्या है ये वैल्यू कट, इससे जुड़ा विवाद और हरियाणा सरकार की किसानों को राहत
क्या है वैल्यू कट: केंद्र सरकार की नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर गेहूं में नमी ज्यादा हुई, टूटा हुआ दाना मिला, सिकुड़ा हुआ दाना मिला तो डैमेज यानी नुकसान के हिसाब से किसान को प्रति क्विंटल भुगतान करना होगा. इसके लिए सरकार ने अलग-अलग कैटेगरी बनाई है. मतलब ये कि अगर किसी किसान की फसल खराब हुई तो फसल के डैमेज का आंकलन किया जाएगा. फिर उस आधार पर प्रति क्विंटल के हिसाब से वैल्यू कट किया जाएगा. इसके लिए केंद्र की ओर से बकायदा कैटेगरी बांटी गई है, जिसमें गेहूं में 6 फीसदी नमी से लेकर 18 फीसदी नमी तक पर लगने वाला वैल्यू कट तय किया गया है.
विपक्ष ने उठाया सवाल-सरकार के वैल्यू कट के फैसले से हरियाणा के किसानों में रोष दिखा. विपक्षी पार्टियों समेत हरियाणा के किसान संगठनों ने भी हरियाणा और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. हुड्डा ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार टूटा दाना, छोटा दाना, नमी व लस्टर लॉस में किसानों को और छूट दे. मुआवजे के इंतजार में बैठे किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा और 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दे.
सरकार ने दी राहत: विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर वैल्यू कट के फैसले को वापस लेने की मांग की. इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने ऐलान किया कि जब तक केंद्र सरकार उनके पत्र पर कोई फैसला नहीं लेती, तब तक वैल्यू कट की राशि हरियाणा सरकार वहन करेगी. इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट के जरिए दी. गौरतलब है कि केंद्र द्वारा लगाए गए वैल्यू कट की राशि पहले किसान को वहन करनी थी.
कैसे मिलेगा किसानों को फायदा:जब किसान अनाज मंडी में फसल बेचने आता है तो उनको जे फॉर्म (J Form) भरना होता है. इसमें फसल की एमएसपी, कितना रेट मिला, कितने एकड़ की फसल, कितनी नमी, कितनी कटौती जैसी डिटेल भरनी होती है. जे-फॉर्म मंडियों में किसानों की कृषि उपज की बिक्री की रसीद है, ये आढ़तियों द्वारा जारी की जाती है. लिहाजा रिकॉर्ड के तौर पर वैल्यू कट की जानकारी जे फॉर्म पर दर्ज की जाएगी. अब इसी जे फॉर्म के आधार पर सरकार एजेंसी को वैल्यू कट का भुगतान करेगी. ये जे फॉर्म सरकार द्वारा कमीशन एजेंट को दिया जाता है.