करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. कार्तिक विनायक चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महात्म्य है. यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है. इस दिन विधि विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि जो भी पूरे विधि विधान से गणपति भगवान की पूजा अर्चना करता हैं और व्रत रखता है उन पर और उनके परिवार पर गणपति भगवान अपनी कृपा बनाए रखते हैं. ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है. इसके अलावा सभी प्रकार के संकट और दुख दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व क्या है.
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त: ज्योतिष आचार्य इंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए बताया 'हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू वर्ष के 1 महीने में दो पक्ष होते हैं, जिन्हें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष कहा जाता है. अगर साधारण भाषा में बात करें 15 दिन चंद्रमा के चांदनी के होते हैं और 15 दिन चंद्रमा के अंधेरी रात के होते हैं. दोनों ही पक्ष में चतुर्थी आती है. कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली गणेश चतुर्थी का आरंभ 16 नवंबर को दोपहर 12:35 बजे से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 17 नवंबर को 11:03 बजे होगा.'
विनायक चतुर्थी का महत्व: ज्योतिषाचार्य के अनुसार, गणेश भगवान को सभी देवताओं में सबसे पहले माना जाता है. यही वजह है कि किसी भी प्रकार के धार्मिक और मांगलिक कार्यों की शुरुआत में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना होती है. इन्हें रिद्धि और सिद्धि के दाता माना गया है. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और कुछ लोग इस दिन भगवान श्री गणेश के लिए व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखने और पूजा करने से घर में किसी भी प्रकार की समस्या हो वह दूर हो जाती है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है. ऐसा करने से भगवान गणेश आर्थिक दृष्टि से भी मजबूती प्रदान करते हैं. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने से भगवान गणेश सभी प्रकार के कष्ट दूर कर देते हैं और किसी भी प्रकार के जाने अनजाने में हुए पापों को भी माफ कर देते हैं.