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उत्पन्ना एकादशी व्रत 2023 आज: जानिए व्रत विधि और इसका महत्व, इस खास उपाय से भगवान विष्णु करेंगे दुखों का अंत! - एकादशी के दिन क्या न करें

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. हर वर्ष मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. उत्पन्ना एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने पर सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है. साथ ही साथ भगवान विष्णु दुख और संकट भी दूर करते हैं. (Utpanna Ekadashi 2023)

Utpanna Ekadashi 2023
उत्पन्ना एकादशी व्रत 2023

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 6, 2023, 8:40 AM IST

Updated : Dec 8, 2023, 6:16 AM IST

करनाल: हिंदू पंचांग के आधार पर सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष और त्योहार मनाए जाते हैं, जिनका सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इन दिनों हिंदू वर्ष का मार्गशीर्ष महीना चल रहा है जो भगवान श्री कृष्णा का प्रिय महीना है. वहीं, अगर बात करें हिंदू पंचांग के अनुसार 8 दिसंबर के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत बहुत ही पुण्य देने वाला व्रत माना जाता है, तो आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी कब शुरू हो रही है और उसका महत्व क्या है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त: पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस एकादशी का आरंभ 8 दिसंबर को सुबह 5:06 बजे से हो रहा है, जबकि इसका समापन 9 दिसंबर को सुबह 6:31 बजे होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत में त्योहार उदय तिथि साथ मनाया जाता है. इसलिए उत्पन्ना एकादशी का व्रत 8 दिसंबर को रखा जाएगा. इस दिन गृहस्थी वाले लोग व्रत रखेंगे, जबकि इससे अगले दिन 9 दिसंबर को वैष्णव संप्रदाय के लोग व्रत रखते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं वही इस एकादशी के पारण का समय 9 दिसंबर को दोपहर बाद 1:15 से 3:20 के बीच में किया जाएगा.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व: पंडित के अनुसार सनातन धर्म में प्रत्येक एकादशी का विशेष महत्व होता है. लेकिन, सभी एकादशियों में से उत्पन्ना एकादशी का सबसे बढ़कर महत्व होता है, क्योंकि शास्त्रों में बताया गया है कि इस एकादशी के दिन एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी. पंडित ने बताया शास्त्रों में बताया गया है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अंश से देवी एकादशी का जन्म हुआ था. इसलिए इस एकादशी का सभी एकादशी में से बढ़कर महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है, क्योंकि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को पूर्ण रूप से समर्पित होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान इस एकादशी के दिन पूरे विधि विधान से व्रत रखे तो उसके कहीं जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा उस पर और उसके परिवार पर बनी रहती है. शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी का व्रत करने से दान,तीर्थ स्नान और अश्वमेध यज्ञ के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि: पंडित ने बताया कि एकादशी के दिन इंसान को सुबह जल्दी सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. अगर किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो अपने घर में ही एक पानी की बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करें. उसके बाद अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनकी पूजा अर्चना करें. उसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करें.

कैसे करें उत्पन्ना एकादशी व्रत?: याद रहे कि सभी एकादशियों का व्रत निर्जला व्रत रखा जाता है. इसलिए एकादशी के व्रत के दिन पानी तक भी ग्रहण न करें. व्रत के दिन आप भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उसके लिए कीर्तन करें. संभव हो तो विष्णु पुराण भी अवश्य पढ़ें. सुबह शाम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के दौरान प्रसाद का भोग लगाएं. पारण के समय भगवान विष्णु के आगे प्रसाद का भोग लगाकर, ब्राह्मण और जरूरतमंद लोगों को भी भोजन कारण और अपनी इच्छा अनुसार उनका दान भी करें. फिर अपने व्रत का पारण कर लें. मान्यता है कि जो भी एकादशी के दिन दान करता है तो उसका कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है.

एकादशी के दिन करें यह उपाय: पंडित ने बताया कि एकादशी के व्रत के दिन कुछ उपाय करने से मानव जीवन में खुशहाली आ सकती है. अगर किसी दंपति को संतान नहीं हो रही तो पति पत्नी दोनों बैठकर पूजा अर्चना करें और एकादशी का व्रत रखे तो उसे संतान प्राप्ति के मनोकामना पूरी होती है. एकादशी के दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए. माता लक्ष्मी को धन की माता कहा जाता है और ऐसा करने से इंसान के घर आर्थिक दृष्टि से मजबूती आती है और सुख समृद्धि होती है.

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Last Updated : Dec 8, 2023, 6:16 AM IST

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