करनाल:हरियाणा में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. पहले जहां सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होती जा रही थी, तो रिजल्ट भी कुछ खास नहीं रहता था. जिसके चलते हरियाणा सरकार ने शिक्षा विभाग के साथ मिलकर पिछले कई सालों से इस पर काम किया है. जिसके परिणाम भी अच्छे आने लगे हैं. हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने और रिजल्ट अच्छे आने को लेकर कई नीतियां बनाई गई है. ताकि हरियाणा में सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली को सुधारा जा सके.
2 टीचरों को स्टेट लेवल सम्मान: इस सम्मान के लिए सरकार प्रदेश भर से सैकड़ों टीचरों को चुनती है, जो सरकारी स्कूलों में शिक्षा को बेहतर करने के लिए अच्छे कदम उठाते हैं, उन अध्यापकों को सरकार द्वारा चयनित किया जाता है. 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर सरकार करनाल के दो टीचरों को सम्मानित (Karnal Two Teachers Honor) करेगी. जिनमें से एक का नाम विनोद कुमार है और दूसरे टीचर का नाम प्रदीप कुमार है. विनोद कुमार करनाल के गांव गोंदर के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हिंदी पढ़ाते हैं. जबकि प्रदीप कुमार करनाल के डोडवा प्राथमिक स्कूल में मुख्य शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
100 % रिजल्ट के लिए सम्मान: करनाल के गांव गोंदर के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हिंदी टीचर विनोद कुमार ने बताया कि अक्टूबर 2000 मे हिंदी टीचर के रूप में वो भर्ती हुए थे. उनकी सबसे पहली पोस्टिंग करनाल के राजकीय उच्च विद्यालय अमूपुर में हुई थी. उसके बाद 2004 में उनका तबादला हो गया और वो करनाल के ही गोंदर गांव के स्कूल में चले गए. अपने स्कूल और हरियाणा में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए उन्होंने भरपूर मेहनत की जिसकी बदौलत उनके स्कूल की छठी से लेकर आठवीं तक की कक्षा का परिणाम 100% रहा. जिसके चलते उन्हें स्टेट लेवल का पुरस्कार दिया जा रहा है.
एक्सट्रा क्लास लगाते हैं विनोद कुमार: टीचर विनोद कुमार ने कहा सरकारी स्कूल का परिणाम सुधारना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी. तो उन्होंने सोचा कि वह कैसे इसमें सुधार कर सकते हैं. इसके लिए टीचर विनोद कुमार ने प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूल में ही बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास लगानी शुरू कर दी. यह क्लास उन बच्चों के लिए होती थी जो पढ़ाई में थोड़े कमजोर होते थे. ऐसे में स्कूल की छुट्टी होने के बाद और सुबह स्कूल लगने से एक क्लास पहले बच्चों को बुला लेते थे और उनको अलग से क्लास देते थे जिसकी बदौलत उनके स्कूल में उनकी क्लास का परिणाम 100% अच्छा रहा.