करनाल: पश्चिमी यमुना नहर (Western Yamuna Canal Karnal) को आजकल मौत की नहर के नाम से जाना जाने लगा है. क्योंकि बड़ी संख्या में लोग इस नहर में कूदकर आत्महत्या (Suicide cases increased) कर रहे हैं. 15 दिन पहले करनाल के पनौडी गांव की महिला ने दो मासूम बच्चों के साथ इस नहर में छलांग लगा दी. महिला को तो बचाया लिया गया, लेकिन दोनों बच्चे डूब गए.
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इसी तरह कुरुक्षेत्र की बोहड़ी गांव की महिला अपने 4 साल के बेटे के साथ नहर में कूद गई. महिला को बचा लिया गया, लेकिन बच्चा डूब गया. घोघड़ीपुर गांव की रहने वाली 55 वर्षीय महिला ने नहर में कूदकर आत्महत्या कर ली. मनोचिकित्सक का माना है कि घरेलू कलह की वजह से लोग ये कदम उठा रहे हैं.
कोरोना से बचे तो लॉकडाउन ने मारा! दो महीने में दस से लोगों ने की आत्महत्या
पिछले दो महीनों में जिले के 10 से ज्यादा लोगों ने नहर में कूदकर आत्महत्या की है. कुछ को बचाया भी गया है. मनोचिकत्सक डॉक्टर मनन इसके पीछे की बड़ी वजह कोरोना महामारी और लॉकडाउन (Corona and lockdown) को मान रहे हैं. कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से लोगों का रोजगार चला गया. लोग घरों में रहने को मजबूर हैं. आर्थिक तंगी की वजह से घर में झगड़े बढ़ रहे हैं. कुछ लोगों ने नशे का सेवन करना शुरू कर दिया है. जिसकी वजह से लोग आत्महत्या कर रहे हैं.
पश्चिमी यमुना नहर में 'मौत की छलांग' लगा रहे लोग
करनाल के जुंडला गेट स्तिथ अपना आशियाना नाम की संस्था चला रहे समाजसेवी राजकुमार और महिला अनु मैदान का मानना है कि जो महिलाएं या बच्चे घरेलू कलह से परेशान हैं. ज्यादातर वो लोग आत्महत्या कर रहे हैं. आत्महत्या के लिए लोग शायद नहर में छलांगलगाना ज्यादा मुनासीफ समझ रहे हैं. इसलिए बीते कुछ दिनों में करनाल की नहर में आत्महत्या के केस ज्यादा सामने आए हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा नहर में कूदी हैं. करनाल पुलिस अधीक्षक गंगाराम पूनिया ने आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताई.
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कोरोना महामारी ने हर वर्ग को बुरी तरह से प्रभावित किया है. लाखों लोग बेरोजगार हो गए. मनोचिकित्सक की माने तो आर्थिक तंगी की वजह से घरों में झगड़े बढ़ने लगे. जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं वो भी घर में रहकर चिड़चिड़े हो रहे हैं. मानसिक तनाव से लोग आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं. मनोचिकित्सकों ने ऐसे लोगों से अपील की है कि वो ऐसा कोई कदम ना उठाए. अगर लोग मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं तो पुलिस को संपर्क कर इसकी सूचना दे. या फिर मनोचिकित्सक और समाजसेवी के संपर्क करे. ताकि उनको सही निर्देश मिल सके.