करनालः हरियाणा के करनाल की पश्चिमी यमुना नहर (Karnal West Yamuna Canal) सुसाइड पॉइंट बन गई है, जिसमें आए दिन लोग कूदकर आत्महत्या कर रहे हैं. इसलिये पश्चिमी यमुना नहर को लोग करनाल की खूनी नहर कहने लगे हैं. क्योंकि हर दिन ये लाशें उगल रही है. इस नहर में हर महीने 40-50 जिंदगियां खत्म हो रही हैं. कई लोग दुर्घटना में भी इस नहर में गिरकर मर जाते हैं, लेकिन नहर में ज्यादातर लोग खुदकुशी करते हैं.
भले ही नहरें हमारी समृद्धि का मुख्य आधार रही हैं लेकिन यही नहरें लगातार जिदगानी भी निगल रही हैं. कहीं अचानक हादसा हो जाता है तो कहीं नहाते समय किशोर से लेकर युवा तक पानी के तेज बहाव में बह जाते हैं. गर्मी के सीजन में हर साल नहरों में होने वाले हादसे एकाएक बढ़ जाते हैं. माना जाता है कि हर सीजन में दर्जनों लोगों की जान चली जाती है, जिसमें कई परिवारों के इकलौते चिराग तक बुझ चुके हैं.
यही कारण है कि अब किसी नहर की खूनी नहर के तौर पर पहचान होने लगी तो कहीं इन पर बने घाट को ही खूनी घाट कहा जाने लगा है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जितने भी शव इस नहर से निकाले जाते हैं उनमें 80% केस सुसाइड के होते हैं. लोग अपनी जिंदगी को खत्म करने के लिए इस करनाल की पश्चिमी यमुना नहर में छलांग लगा रहे हैं. 20% मामले दुर्घटना या मर्डर के होते हैं.
इस आंकड़े के आधार पर हिसाब लगा सकते हैं कि इसको खूनी नहर क्यों कहा जाता है. नहरों में कूद कर जिंदगी खत्म करने वाले सैकड़ों लोगों को बचा चुके गोताखोर परगट सिंह का कहना है कि 99% इस नहर से शव निकालने के लिए लोग और प्रशासन उसी को बुलाते हैं. वह पिछले 23 सालों से नहरों से शव व जिंदा लोगों को बचाने के लिए समाजसेवा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले महीने में 13 दिन में 23 लाशें इस पश्चिमी यमुना नहर से निकाली गई हैं.
ऐसा भी हुई है जब नहर से 2 दिनों में 8 लाशें निकाली गई थी. हर महीने 40 से 50 मामले नहर में डूबने के सामने आ रहे हैं. हर दिन कोई ना कोई इंसान इस नहर में कूदकर अपनी जान दे रहा है. बताया जाता है कि हरियाणा की पश्चिमी यमुना नहर प्रदेश के कई जिलों और 2 राज्यों से लगने के कारण इसमें डूबने के ज्यादा मामले आ रहे हैं.