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ये है हरियाणा की 'खूनी नहर', हर महीने 50 से ज्यादा लोगों की जाती है जिंदगी

करनाल की पश्चिम यमुना नहर हरियाणा में खूनी नहर बनती जा रही है. आये दिन लोग जिंदगी इसमें कूदकर सुसाइड कर लेते हैं. नहर में हर महीने सैकड़ों जिदंगियां खत्म हो रही हैं. ये नहर हरियाणा की सुसाइड पॉइंट बन गई है. रोज हो रहे हादसों के कारण लोग इसे करनाल की खूनी नहर कहने लगे हैं.

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Published : Sep 29, 2022, 5:45 PM IST

suicide case In karnal
करनाल में आत्महत्या.

करनालः हरियाणा के करनाल की पश्चिमी यमुना नहर (Karnal West Yamuna Canal) सुसाइड पॉइंट बन गई है, जिसमें आए दिन लोग कूदकर आत्महत्या कर रहे हैं. इसलिये पश्चिमी यमुना नहर को लोग करनाल की खूनी नहर कहने लगे हैं. क्योंकि हर दिन ये लाशें उगल रही है. इस नहर में हर महीने 40-50 जिंदगियां खत्म हो रही हैं. कई लोग दुर्घटना में भी इस नहर में गिरकर मर जाते हैं, लेकिन नहर में ज्यादातर लोग खुदकुशी करते हैं.

भले ही नहरें हमारी समृद्धि का मुख्य आधार रही हैं लेकिन यही नहरें लगातार जिदगानी भी निगल रही हैं. कहीं अचानक हादसा हो जाता है तो कहीं नहाते समय किशोर से लेकर युवा तक पानी के तेज बहाव में बह जाते हैं. गर्मी के सीजन में हर साल नहरों में होने वाले हादसे एकाएक बढ़ जाते हैं. माना जाता है कि हर सीजन में दर्जनों लोगों की जान चली जाती है, जिसमें कई परिवारों के इकलौते चिराग तक बुझ चुके हैं.

करनाल की पश्चिम यमुना नहर बनी खूनी नहर

यही कारण है कि अब किसी नहर की खूनी नहर के तौर पर पहचान होने लगी तो कहीं इन पर बने घाट को ही खूनी घाट कहा जाने लगा है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जितने भी शव इस नहर से निकाले जाते हैं उनमें 80% केस सुसाइड के होते हैं. लोग अपनी जिंदगी को खत्म करने के लिए इस करनाल की पश्चिमी यमुना नहर में छलांग लगा रहे हैं. 20% मामले दुर्घटना या मर्डर के होते हैं.

इस आंकड़े के आधार पर हिसाब लगा सकते हैं कि इसको खूनी नहर क्यों कहा जाता है. नहरों में कूद कर जिंदगी खत्म करने वाले सैकड़ों लोगों को बचा चुके गोताखोर परगट सिंह का कहना है कि 99% इस नहर से शव निकालने के लिए लोग और प्रशासन उसी को बुलाते हैं. वह पिछले 23 सालों से नहरों से शव व जिंदा लोगों को बचाने के लिए समाजसेवा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले महीने में 13 दिन में 23 लाशें इस पश्चिमी यमुना नहर से निकाली गई हैं.

जिंदगी से जंग हार कर लेते हैं आत्महत्या

ऐसा भी हुई है जब नहर से 2 दिनों में 8 लाशें निकाली गई थी. हर महीने 40 से 50 मामले नहर में डूबने के सामने आ रहे हैं. हर दिन कोई ना कोई इंसान इस नहर में कूदकर अपनी जान दे रहा है. बताया जाता है कि हरियाणा की पश्चिमी यमुना नहर प्रदेश के कई जिलों और 2 राज्यों से लगने के कारण इसमें डूबने के ज्यादा मामले आ रहे हैं.

कोई नहर में खुदकुशी के लिए छलांग लगाता है या किसी दुर्घटना के कारण गिर जाता है. जिसका शव दो-तीन दिनों बाद पानी के ऊपर दिखाई देता है. इस दौरान लाश करनाल क्षेत्र में पहुंच जाती है. लाशाों का जो आंकड़ा दिया गया है वो केवल करनाल एरिया का है. करनाल के गोताखोर परगट सिंह ने कहा कि जब वह शव को नहर से निकालने के लिए जाते हैं तब उनको इन वारदातों की सच्चाई पता चलती है.

इसमें ज्यादातर जो लाशें मिली हैं उसमें सुसाइड के मामले होते हैं. उन्होंने बताया कि लोगों में बर्दाशत करने की क्षमता कम हो रही है. जिसके कारण नौजवान, बुजुर्ग और महिलायें छोटी-छोटी बातों पर खुदकुशी करने के लिये नहर में कूद जाती हैं. परगट सिंह चौंकाने वाले खुलासे किये हैं. उन्होंने बताया कि महिलायें अपने 4-4 साल के बच्चों के साथ नहर में कूद कर जान दे रही हैं.

नहर में हर महीने मिलती हैं 40-50 लाशें

नहर में आत्महत्या के बढ़ रहे मामलों को लेकर मनोचिकित्सक ने बताया कि अगर परिवार में किसी भी व्यक्ति को वह उदास देखते हैं, कोई इंसान परेशान है, युवा या किशोर पढ़ाई को लेकर टेंशन में हैं तो उनकी लगातार काउंसलिंग करते रहना चाहिए. उन पर लगातार निगरानी रखनी चाहिए और उनको प्यार से बैठकर समझाना चाहिए. मनोचिकित्सक के मुताबिक ज्यादातर सुसाइड इसलिये होते हैं कि कोई इंसान टेंशन में चल रहा है और वह अपनी बात किसी दूसरे से शेयर नहीं करता है.

धीरे-धीरे वह इतना डिप्रेशन में चला जाता है कि वह अपनी जान देने तक का फैसला कर लेता है. ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि छोटी-छोटी बातों को लेकर सुसाइड करने का बड़ा कदम लोग उठा लेते हैं. अगर कोई भी परिवार या जानकारी में परेशान चल रहा है तो बैठकर उसकी बात सुननी चाहिए. जिससे उसके मन का बोझ कम हो सके और वह सुसाइड जैसा कदम ना उठाए.

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