करनाल: हरियाणा के कई ऐसे जिले हैं जो बाढ़ प्रभावित हैं. हर साल भारी बारिश के बाद यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, सोनीपत और करनाल के कई इलाकों में यमुना और मारकंडा की बाढ़ कहर बरपाती है. अगर बात सीएम सिटी करनाल की करें तो यहां के इंद्री ओर घरौंडा के गावों में मानसून के दौरान जलभराव और बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं. इन क्षेत्रों के लालूपुरा, मुस्तफाबाद, शेरगढ़ टापू, मुंडिगढ़ी, फरीदपुर, गुमथला, बहलोलपुर वो गांव हैं जो सबसे ज्यादा यमुना के रौद्र रूप से प्रभावित होते हैं.
ऐसे में हर साल इन क्षेत्रों में बाढ़ का प्रभाव कम करने के लिए स्टड बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से इन स्टडों के निर्माण का काम वक्त रहते शुरू नहीं हो सका है. जिस वजह से यमुना के पास लगते ग्रामीण इलाके के लोगों और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आ चुकी हैं.
ईटीवी भारत ग्राउंड जीरो पर पहुंचा और जाना कि आखिर करनाल में बनने वाले स्टडों का काम कितना हो चुका है? साथ ही ईटीवी भारत ने ये भी जानना कि अगर स्टड वक्त रहते नहीं बने तो यमुना नदी से लगते क्षेत्रों पर इसका कितना असर हो सकता है?
लॉकडाउन से पहले शुरू होने थे ये काम
मानसून के दौरान यमुना के पानी से बाढ़ जैसे हालात पैदा ना हो. इसके लिए 5 करोड़ 33 लाख रुपये की लागत से ढाकवाला, मुस्तफाबाद और शेरगढ़ टापू में 13 नए स्टड और 10 स्टडों की मरम्मत का कार्य होना था जो लॉकडाउन की वजह से देर से शुरू हुआ है.
हाल ही में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने भी यमुना नदी के तट पर पानी से कटाव को रोकने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे प्रबंधों का जायजा लिया था और अधिकारियों से तैयारियों की विस्तार से जानकारी भी ली थी. बता दें कि बरसात के मौसम में यमुना का पानी नदी से लगते क्षेत्रों में कहर बरपाता है. इस पानी को काबू करने के लिए हर साल सिंचाई विभाग कटाव को रोकने के लिए प्रबंध करता है.