करनालःकमाई ऐसी हो जिसकी खुशबू हर जगह फैले तो फिर क्या बात होगी. किसानों के लिए ऐसी ही कमाई का एक जरिया है गेंदे की फूल की खेती. हमेशा होते रहने वाले अलग-अलग कार्यक्रमों के चलते गेंदे के फूल की डिमांड वर्ष भर बनी रहती है. इन्हीं सारी बातों का फायदा उठा रहे हैं कि करनाल के गांव संघोहा के किसान प्रतीक. प्रतीक ने 1 एकड़ जमीन पर गेंदे के फूल की खेती की है और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं.
ढाई से तीन महीने में तैयार हो जाती है फसल
गेंदा के फूल की कुछ प्रजातियों जैसे-हजारा और पांवर प्रजाति की फसल वर्ष भर की जा सकती है. एक फसल के खत्म होते ही दूसरी फसल के लिए पौध तैयार कर ली जाती है. इस खेती में जहां लागत काफी कम होती हैं, वहीं आमदनी काफी अधिक होती है. गेंदे की फसल ढाई से तीन माह में तैयार हो जाती है.
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किसान प्रतीक ने बताया कि एक एकड़ की खेती में उनका खर्च तकरीबन 20 हजार रुपये आया है. फसल में सिंचाई की भी ज्यादा जरूरत नहीं होती है. मात्र दो से तीन सिंचाई करने से ही खेती लहलहाने लगती है. अभी तक प्रतीक ने फूलों की 8 से 10 तुड़ाई कर ली है और अभी और तुड़ाई हो सकती है. जिसका रेट 20 से 25 रूपए तक मिल रहा है और आगे चलकर गेंदा फूल बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बिक जाएगा. त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से मिल जाते हैं.
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गेंदे की खेती के लिए उपयुक्त जमीन
गेंदे की खेती उत्तर भारत में मैदानी क्षेत्रों में शरद ऋतू में होती है, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मियों में इसकी खेती की जाती है. गेंदे की खेती के लिए बलुई दोमट और उचित जल निकास वाली भूमि उत्तम मानी जाती है. जिस भूमि का पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है, वह इस खेती के लिए अच्छी अच्छी होती है.
फसल में लगने वाले रोग और उससे बचाव
गेंदे में अर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग और मृदु गलन रोग लगते हैं. अर्ध पतन के नियंत्रण हेतु रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए. खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. विषाणु और गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.
गेंदे में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते हैं. इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन बार करनी चाहिए अथवा क्यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए.
जब हमारे खेत में गेंदे की फसल तैयार हो जाती है तो फूलों को हमेशा प्रातः काल ही काटना चाहिए और तेज धूप न पड़े इसलिए फूलों को तेज चाकू से तिरछा काटना चाहिए फूलों को साफ बर्तन में रखना चाहिए. फूलों की कटाई करने के बाद छायादार स्थान पर फैलाकर रखना चाहिए. पूरे खिले हुए फूलों की ही कटाई करानी चाहिए. कटे फूलों को ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान और 80 प्रतिशत आद्रता होनी चाहिए. कट फ्लावर के रूप में इस्तेमाल करने वाले फूलों के पात्र में एक चम्मच चीनी मिला देने से अधिक समय तक रख सकते हैं. गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है.
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