करनाल: हिंदू धर्म में दिनों की गणना पंचांग के आधार पर की जाती है. वहीं, अगर बात 27 अगस्त को सावन महीने की पुत्रदा एकादशी पड़ रही है. एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है. हिंदू धर्म में एकादशी के दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व होता है. महीने में दो एकादशी आती है, लेकिन सावन महीने शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और माना जाता है कि जिस भी साधक को पुत्र की प्राप्ति नहीं होती वह पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखकर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना करते है जिसे उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है. पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर के पुण्य की प्राप्ति होती है. तो जानिए व्रत का महत्व और पूजा का विधि विधान.
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कब है सावन पुत्रदा एकादशी?: कुरुक्षेत्र तीर्थ पुरोहित पंडित पवन शर्मा ने बताया कि, हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरम्भ 27 अगस्त की सुबह 12 बजकर 08 मिनट से होगा जिसका समापन 27 अगस्त की रात 09 बजकर 32 मिनट पर होगा. इसलिए उदया तिथि के हिसाब से पुत्रदा एकादशी का व्रत 27 अगस्त को दिन रविवार को रखा जाएगा.
पुत्रदा एकादशी की पूजा और मुहूर्त का समय: हिंदू पंचांग के अनुसार पुत्रदा एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह से आरंभ हो जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जिसका समय सुबह 05 बजकर 56 मिनट से सुबह 07 बजकर 16 मिनट तक होगा. माना जाता है कि इस समय के दौरान पूजा करने से इंसान को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण का समय:हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य उदय तिथि के साथ 27 अगस्त सुबह से पुत्रदा एकादशी व्रत को रखा जाएगा. व्रत का पारण 28 अगस्त को सुबह 05 बजकर 57 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक किया जा सकता है.
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पुत्रदा एकादशी का महत्व: हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी का विशेष महत्व होता है. सभी एकादशियों में से पुत्रदा एकादशी का महत्व सबसे बढ़कर होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि जिस दम्पति को संतान की प्राप्ति नहीं होती, अगर वह पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु से पुत्र प्राप्ति के लिए मनोकामना करे तो उसकी मनोकामना पूरी होती है और उसको पुत्र की प्राप्ति होती है.
मान्यता है कि, इस दिन व्रत रखने से साधक को सभी भौतिक सुख प्राप्त होते हैं. मान्यता के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से साधक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से भगवान विष्णु साधक के सभी पापों को नष्ट कर देते हैं. इससे कई प्रकार के ग्रह दोष से भी मुक्ति मिलती है. साथ ही दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आती है. इस दिन व्रत रखने से साधक के संतान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी दीर्घायु भी होती है.
पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन करें ये काम: पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर शुद्ध जल में स्नान करके मंदिर में जाकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उसके मंदिर में देशी घी का दीपक जलाएं. पूजा करने के दौरान भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें और पूजा करने बाद जो साधक व्रत रखना चाहता है व्रत रखने का प्रण लें.
पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा विधि: व्रत रखने वाले साधक को पूरा दिन बिना अन्न के रहना होता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इसलिए भगवान विष्णु के लिए भजन कीर्तन भी करें. शाम के समय ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराएं और पारण के समय भगवान विष्णु को प्रसाद का भोग लगाने के बाद अपने व्रत का पारण करें.