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Pradosh Vrat 2023: रवि प्रदोष व्रत पर शुभ समय में ऐसे करें भगवान शिव की पूजा, सभी परेशानी दूर करेंगे भोलेनाथ

कहते हैं भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. शास्त्रों को अनुसार अगर प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाए तो भगवान शिव अपनो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं तो आइए जानते हैं आज रवि प्रदोष व्रत के दिन किस शुभ मुहूर्त में भगवान शंकर की आराधना करें... (Pradosh Vrat 2023)

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Published : Mar 19, 2023, 6:39 AM IST

Published : Mar 19, 2023, 6:39 AM IST

ravi pradosh vrat 2023
रवि प्रदोष व्रत

करनाल:हिंदू धर्म में व्रत एवं त्योहार का काफी महत्व होता है. भगवान को खुश करने के लिए हिंदू धर्म में व्रत रखे जाते हैं. रविवार, 19 मार्च को यानी आज प्रदोष व्रत है. यह व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्र के अनुसार कहा गया है कि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में जो भी भगवान शिव की पूजा करता है उसको सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस दिन अगर कोई मनुष्य सूर्य देव की आराधना करता है तो उसको भी सुख समृद्धि मिलती है तो आइए जानते हैं 19 मार्च को रखे जाने वाले प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त व महत्व.

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:पंचांग के अनुसार 19 मार्च दिन रविवार को त्रियोदशी तिथि का प्रारम्भ सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर होगा और इसका समापन 20 मार्च को 4 बजकर 56 मिनट पर होगा. भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के लिए प्रदोष काल को सबसे सर्वोत्तम माना गया है. प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त आज 6 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. इस प्रदोष काल के दौरान जो भी शिव भगवान की पूजा करते हैं हमको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव को समर्पित होता है.

प्रदोष व्रत की पूजा का विधि विधान: प्रदोष व्रत के दिन मनुष्य को सुबह स्नान इत्यादि करके भगवान शिव की पूजा अर्चना करने बाद व्रत रखने का प्रण लेना चाहिए. मंदिर में घी का दीप लगाने के बाद पूजा पाठ करने में अपना ध्यान लगाना चाहिए. इस दिन आपको बिना खाए पिए ही रहना होता है. अपनी पूजा के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल भी चढ़ाए, इसके बाद दूध, दही, शहद और फल भगवान शिव को अर्पित करें. इस दिन अगर अपनी पूजा के दौरान भगवान शिव को शमी के पत्ते, बेल पत्थर और रुद्राक्ष चढ़ाये तो उससे शिव ज्यादा प्रसन्न होते हैं.

पूजा करने के बाद मंदिर के आगे बैठ कर घी का दीप जगाने के बाद प्रदोष व्रत कथा पढ़ने का विशेष महात्म्य चाहिए और बेहतर होगा इस दौरान आप अपने हाथ में रुद्राक्ष की माला लेकर भगवान शिव का जाप करें. भगवान शिव की पूजा करने के बाद सभी कार्य संपन्न करने के बाद भगवान शिव की आरती जरूर करें. शाम के समय भगवान शिव को भोग लगाकर सभी को प्रसाद बांटे और ब्राह्मण, गाय व जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं. मान्यता है कि इस दिन ब्राह्मण व जरूरतमंदों को खाना खिलाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उसके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है उसके बाद आप अपना व्रत खोल सकते हैं.

प्रदोष व्रत का महत्व:शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष व्रत के दिन जो मनुष्य प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं इससे व्रत रखने वाले मनुष्य की आयु लंबी होती है और उसके ऊपर और उसके पूरे परिवार के ऊपर भगवान भोले की कृपा बनी रहती है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं और ऐसा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मान्यता है कि इस व्रत रखने से सुहागन महिला को अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है और संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. माना जाता है कि जो भी इस दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करता है और व्रत रखता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. उसके परिवार पर भगवान भोले की कृपा बनी रहती है.

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