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बारिश से गेहूं की फसल को फायदा होगा या नुकसान? जानें कृषि वैज्ञानिकों की क्या है राय

Rain impact on wheat crop:हरियाणा के ज्यादातर जिलों में बारिश के बाद मौसम बदला है. तापमान में गिरावट दर्ज की गयी है. ऐसे मौसम में गेहूं की फसल पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह जानना जरूरी हो गया है क्योंकि हरियाणा में बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती की जाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कृषि वैज्ञानिक से बात की है.

Wheat and Barley Research Institute Karnal
Wheat and Barley Research Institute Karnal

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 2, 2023, 4:09 PM IST

बारिश से गेहूं की फसल को फायदा होगा या नुकसान? जानें कृषि वैज्ञानिकों की क्या है राय

करनाल:हरियाणा कृषि प्रधान राज्य है.यहां की बहुत बड़ी आबादी कृषि पर आधारित है. यहां के किसान बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती करते हैं.हाल के दिनों में बारिश से गेहूं की फसल पर क्या प्रभाव पड़ सकता है यह जानना आवश्यक हो जाता है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अभी की बारिश से गेहूं की फसल को फायदा होगा.

बारिश से गेहूं की फसल को फायदा:गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के डायरेक्टर डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार बारिश से गेहूं की फसल को फायदा होगा. तापमान में कमी गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद साबित होगी. हरियाणा में 90% गेहूं की बिजाई हो चुकी है और ज्यादातर गेहूं की बिजाई 25 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच में की जाती है जिसमें किसानों ने पहली सिंचाई कर दी है.राज्य में 27 लाख हैक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है. गेहूं के पौधों का फूटाव शुरू हो चुका है ऐसे में खेत में पौधों की संख्या भी बढ़ेगी.

फसल के उत्पादन में होगी वृद्धि: डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार गेहूं की फसल के लिए तापमान का कम होना आवश्यक होता है.बारिश होने से तामपान में कमी हुई है जो फसल के लिए बेहतर वातावरण मुहैया कराता है.तामपान में जितनी कमी होती जाएगी उससे गेहूं के पौधों में वृद्धि होगी लिहाजा पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी.

क्या बरतनी होगी सावधानी?:गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के डायरेक्टर डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने इस बात पर भी किसान भाइयों को ध्यान देने के लिए बताया कि खेत में जहां पहले से पानी लगा हुआ है वहां से पानी की निकासी आवश्यक है .क्योंकि ज्यादा पानी जमा होने से फसल पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है .इसलिए यह आवश्यक है कि जहां पानी ज्यादा जमा हो उसे निकाल दिया जाए.

उन्नत किस्म के बीज का उपयोग:संस्थान के निदेशक ने बताया कि गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने ऐसे बीज तैयार किये हैं जो जलवायु अनुकूल होते हैं जो हर मौसम के अनुसार अपने को ढालने की क्षमता रखते हैं. ऐसे बीज से बने पौधों में हर स्थिति में ग्रोथ होती है.साथ ही इनमें रोग प्रतिरोधी क्षमता भी अधिक होती है.हरियाणा के किसानों ने बड़े पैमाने ऐसे ही बीज का इस्तेमाल किया है जिससे बरसात होने से भी गेहूं के फसल के उत्पादन पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.

डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार भारत सरकार ने इस बार 1014 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है.पिछले साल 1012 मिलियन टन का लक्ष्य था.उन्होंने उम्मीद जताई कि किसानों की सहायता से इस बार के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा.

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