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बॉन्ड पॉलिसी मामला: करनाल में एमबीबीएस छात्रों के समर्थन में इंटरनल डॉक्टर, बुधवार से ओपीडी बंद करने की चेतावनी - बॉन्ड पॉलिसी मामला

करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज (Kalpana Chawla Medical College Karnal) के एमबीबीएस छात्रों ने 3 घंटे ओपीडी के बाहर धरना दिया. छात्र बॉन्ड पॉलिसी का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. छात्रों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. मेडिकल कॉलेज के इंटरनल डॉक्टरों ने भी प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया है.

Protest against bond policy in Karnal Warning to close Karnal Medical College OPD
बॉन्ड पॉलिसी मामला: करनाल में एमबीबीएस छात्रों के समर्थन में इंटरनल डॉक्टर, बुधवार से ओपीडी बंद करने की दी चेतावनी

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Published : Nov 22, 2022, 7:13 PM IST

करनाल: प्रदेश सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का विरोध जारी है. शहर के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज (Kalpana Chawla Medical College Karnal) में मंगलवार को एमबीबीएस छात्र तीन घंटे धरने पर बैठे. छात्रों ने ओपीडी के बाहर बैठकर धरना दिया. मेडिकल कॉलेज के इंटरनल डॉक्टरों ने इन छात्रों का समर्थन किया और ओपीडी छोड़कर उनके साथ धरने पर बैठे. डॉक्टरों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार छात्रों की मांग को पूरा नहीं करती तो कल से ओपीडी को पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाएगा. कोई भी डॉक्टर ओपीडी में मरीजों की जांच नहीं करेगा.

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों (Protest against bond policy in Karnal ) के समर्थन में डॉक्टरों ने मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक ओपीडी के बाहर धरना दिया. करनाल में ओपीडी बंद का मिलाजुला असर दिखाई दिया. ओपीडी में बैठे ज्यादातर डॉक्टरों ने छात्रों की हड़ताल का सर्मथन नहीं किया. वे रोजाना की तरह मरीजों की जांच करते नजर आए. पिछले 22 दिनों से मेडिकल छात्र बॉन्ड नीति का विरोध कर रहे हैं. बॉन्ड पॉलिसी के विरोध को लेकर हो रहे धरने-प्रदर्शन के कारण पिछले 22 दिनों से पढ़ाई भी बाधित हो रही है. जिसका नुकसान भी छात्रों को ही हो रहा है. वहीं छात्रों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांग पूरी नहीं करती तब तक वे पीछे हटने वाले नहीं है. छात्रों और उनके समर्थन में आए डॉक्टरों ने चेतावनी देते हुए कहा कि कल से ओपीडी पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी.

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आर्थिक रूप से कमजोर छात्र कैसे करेंगे पढ़ाई :ओपीडी के बाहर बैठे छात्रों (MBBS student protesting against bond policy) ने कहा कि 4 साल के कोर्स में उन्हें 40 लाख रुपए की फीस जमा करानी होगी. जो छात्र आर्थिक रूप से कमजोर हैं, वह एमबीबीएस का कोर्स नहीं कर पाएंगे. जिससे बॉन्ड नीति के खिलाफ एमबीबीएस छात्रों में रोष है. छात्राओं ने सरकार से मांग की है कि बॉन्ड नीति को वापस लिया जाए, ताकि छात्र एमबीबीएस का कोर्स आसानी से कर सके. छात्रों का कहना है कि शासन और प्रशासन उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है.

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ये है छात्रों की प्रमुख मांगे:ओपीडी के बाहर धरने पर बैठे छात्रों की मुख्य मांग बॉन्ड एग्रीमेंट से बैंक की दखलअंदाजी को पूरी तरह से खत्म करना है. इसके साथ ही छात्र बॉन्ड सेवा की अवधि 7 साल से घटाकर अधिकतम 1 वर्ष करने की मांग कर रहे हैं. छात्रों की मांग है कि ग्रेजुएशन पूरी होने के अधिकतम 2 महीने के अंदर सरकार उन्हें नौकरी दे. छात्र 40 लाख की बॉन्ड राशि को घटाकर 5 लाख करने की भी मांग कर रहे हैं.

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