हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

दिवाली पर बाजारों में कम ही दिख रही मिट्टी के दीयों की डिमांड, कारीगरों में मायूसी - आर्थिक संकट में कुम्हार

अब जब त्योहार आने वाला है तो मार्केट में फैंसी लाइट आ चुकी हैं हालांकि दीयो की उतनी ज्यादा (earthen lamps demand Decrease) डिमांड नहीं दिख रही है.

potters-diwali-faded-in-karnal
मिट्टी के दुकान पर खरीददारी करती महिला

By

Published : Oct 28, 2021, 6:15 PM IST

करनाल : दिवाली का त्योहार आ गया है, मार्केट में भीड़- भाड़ दिखने लगी है, इस बार दिवाली के त्यौहार से पहले के त्यौहारों पर काफी रौनक दिखी , जिसके बाद दुकानदारों और रेहड़ी फड़ी वालों के चेहरे खिले हुए नज़र आए. क्योंकि लोगों ने मार्केट में खरीददारी की. अब जब त्योहार आने वाला है तो मार्केट में फैंसी लाइट आ चुकी हैं हालांकि दीयो की उतनी ज्यादा (earthen lamps demand Decrease) डिमांड नहीं दिख रही है.

दीयो की रोशनी के बिना दिवाली अधूरी है, फीकी है अगर घर की दीवारों पर दीये नहीं होंगे तो किस बात की दिवाली, क्योंकि हमने अपनी संस्कृति को और अपनी परम्परा को भी बचाना है. दिवाली पर दीयों का भी कारोबार देखने को मिलता है, लोग अलग अलग तरह के दीये खरीदना पसन्द करते हैं. दीयों की महत्वता को समझते हुए हमारी टीम उनके पास पहुंची जो पिछले कई सालों से दीयों का कारोबार कर रहे हैं , उनके पिता और अब उनके बच्चे उनके काम में हाथ बटा रहे हैं.

दुकान पर खरीददारी करती महिलाएं

हालांकि बच्चों की रुचि पहले के मुकाबले थोड़ी कम है. राजीव जी बताते हैं कि वो करीब 25 सालों से इस कारोबार में हैं वो हर त्योहार पर मिट्टी से जुड़ी हुई चीजें बनाते हैं , लोगों के रुझान को देखते हुए उन्हें उम्मीद है कि इस बार लोग दीयों की तरफ ध्यान देंगे.

ये भी पढ़ें :बदलते वक्त के साथ कुम्हारों ने बदला काम करने का तरीका, मार्केट में बढ़ रही मिट्टी से बनी चीजों की डिमांड

उन्होंने बताया कि समस्या तो बहुत आती है मिट्टी से लेकर जगह कि पर काम कर रहे हैं ताकि थोड़ी बहुत आमदनी भी हो जाए और परिवार का गुजारा भी और देश की संस्कृति औऱ परम्परा भी बची रह जाए जो धीरे- धीरे खत्म हो रही है. वहीं दीये खरीदने आई महिलाओं ने बताया कि हमारी परम्परा और संस्कृति को बढ़ावा देने की ज़रूरत है ऐसे में लोगों से आकर हम भी दीये खरीदें औऱ अपने घरों को जगमग करें.

ये भी पढ़े :बाजार में घटी मिट्टी बने दीयों की डिमांड, आर्थिक संकट की मार झेल रहे कुम्हार

बात साफ है कि दिवाली का मतलब है खुशियां और खुशियां तभी आएंगी जब हम स्वदेशी चीजों को तवज्जो देंगे, हमें सिर्फ अपनी दिवाली रंगीन करने से मतलब नहीं होना चाहिए हमें इस बात की ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए कि मिट्टी से जुड़े हुए दीये हम जलाएं और अपने घर को हम रोशन बनाएं ताकि सबकी हो सके हैप्पी वाली दिवाली.

ABOUT THE AUTHOR

...view details