करनाल : दिवाली का त्योहार आ गया है, मार्केट में भीड़- भाड़ दिखने लगी है, इस बार दिवाली के त्यौहार से पहले के त्यौहारों पर काफी रौनक दिखी , जिसके बाद दुकानदारों और रेहड़ी फड़ी वालों के चेहरे खिले हुए नज़र आए. क्योंकि लोगों ने मार्केट में खरीददारी की. अब जब त्योहार आने वाला है तो मार्केट में फैंसी लाइट आ चुकी हैं हालांकि दीयो की उतनी ज्यादा (earthen lamps demand Decrease) डिमांड नहीं दिख रही है.
दीयो की रोशनी के बिना दिवाली अधूरी है, फीकी है अगर घर की दीवारों पर दीये नहीं होंगे तो किस बात की दिवाली, क्योंकि हमने अपनी संस्कृति को और अपनी परम्परा को भी बचाना है. दिवाली पर दीयों का भी कारोबार देखने को मिलता है, लोग अलग अलग तरह के दीये खरीदना पसन्द करते हैं. दीयों की महत्वता को समझते हुए हमारी टीम उनके पास पहुंची जो पिछले कई सालों से दीयों का कारोबार कर रहे हैं , उनके पिता और अब उनके बच्चे उनके काम में हाथ बटा रहे हैं.
हालांकि बच्चों की रुचि पहले के मुकाबले थोड़ी कम है. राजीव जी बताते हैं कि वो करीब 25 सालों से इस कारोबार में हैं वो हर त्योहार पर मिट्टी से जुड़ी हुई चीजें बनाते हैं , लोगों के रुझान को देखते हुए उन्हें उम्मीद है कि इस बार लोग दीयों की तरफ ध्यान देंगे.