करनाल: शामगढ़ स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में एरोपोनिक तकनीक से अच्छी गुणवत्ता का आलू उगाया जा रहा है. एरोपोनिक तकनीक में पौधे के टिशू को प्लास्टिक शीट के छेद में लगाया जाता है. जड़ एक बॉक्स में लटकी होती है. फिर मिट्टी की जगह सारी खुराक छिड़काव करके उसे दी जाती है. जब बॉक्स में लटकी जड़ में आलू लग जाते हैं. तो बॉक्स खोलकर आलू को अलग कर लिया जाता है.
एक यूनिट में एक वक्त में 20 हजार आलू के पौधे लगाए जा सकते हैं. उन 20 हजार आलू के पौधों से 8 से 10 लाख मिनी ट्यूबर्स या बीज तैयार किए जा सकते हैं. कृषि जगत के बागवानी विभाग में ये तकनीक अहम कदम मानी जा रही है. इससे किसान परंपरागत खेती के मुकाबले ज्यादा लाभ कमा सकते हैं.
हवा में उगाए जा सकेंगे आलू
आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर मनीष सिंगल ने बताया कि एरोपोनिक तकनीक से बिना जमीन और बिना मिट्टी के आलू उगाए जा सकेंगे. इस विधि से पैदावार भी पारंपरिक खेती के मुकाबले 10 गुना ज्यादा होगी. करनाल के शामगढ़ गांव में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र का इंटरनेशनल पोटेटो सेंटर के साथ एमओयू साइन हुआ है. इसके बाद भारत सरकार ने एरोपोनिक तकनीक के प्रोजेक्ट को अनुमति दे दी है.
एरोपोनिक तकनीक से ज्यादा होगा उत्पादन
आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर मनीष सिंगल ने कहा कि आलू का बीज उत्पादन करने के लिए आमतौर पर हम ग्रीन हाउस तकनीक का इस्तेमाल करते थे, जिसमें पैदावार काफी कम आती थी. अब एरोपोनिक तकनीक से आलू का उत्पादन किया जाएगा, जिसमें बिना मिट्टी, बिना जमीन के आलू पैदा होंगे. इसमें एक पौधा 40 से 60 छोटे आलू देगा, जबकि पूर्व की ग्रीन हाउस वाली तकनीक से एक पौधे से पांच आलू ही निकलते थे, लेकिन एरोपोनिक तकनीक से तैयार हुए पौधे को खेत में बीज के तौर पर रोपित किया जा सकेगा. इस तकनीक से करीब 10 से 12 गुना पैदावार बढ़ जाएगी.