करनाल:हरियाणा में कुरुक्षेत्र जिला आलू उत्पाद में पहले स्थान पर आता है. किसानों की माने तो इस बार आलू में आज तक की सबसे बड़ी मंदी देखने को मिल रही है. किसानों का कहना है कि इस बार हरियाणा में आलू की फसल में भारी नुकसान हुआ है. खाद, बीज और कीटनाशक दवाइयों का खर्च तो दूर की बात है, मजदूरों का पैसा भी पूरा करना मुश्किल हो रहा है. अगर मंडी के भाव की बात की जाए, तो मंडी में आलू का भाव 80 रुपए क्विंटल से लेकर 200 रुपए क्विंटल तक है. यानी की 80 पैसे प्रति किलो से लेकर 2 रुपए प्रति किलो तक आलू खरीदा जा रहा है.
किसानों का कहना है कि जब उन्होंने आलू की फसल उगाई थी. उस समय 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से आलू का बीज खरीदा था. उसके बाद खाद, दवाई और लेबर का खर्च अतिरिक्त है. प्रति एकड़ खर्च की बात की जाए, तो आलू की फसल पर करीब 40 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है. जबकि हरियाणा में आलू के थोक दाम 7 से 8 हजार रुपए प्रति एकड़ है.
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प्रदेश सरकार ने हरियाणा में भावांतर भरपाई योजना सब्जी उगाने वाले किसानों की भरपाई करने के लिए चलाई गई है, लेकिन उससे भी किसानों की भरपाई नहीं हो रही है. किसानों का कहना है कि इससे किसानों को कुछ खास लाभ नहीं पहुंच रहा है. जितना नुकसान किसानों को होता है, उसकी भरपाई इस योजना के तहत नहीं की जा रही है. किसानों का कहना है कि सरकार योजनाएं तो लागू करती है, लेकिन उनका फायदा किसानों तक नहीं पहुंचता.