करनाल: जिले में 1.70 लाख हेक्टेयर रकबे में करीब 5 लाख 86 हजार मीट्रिक टन धान उत्पादन होता है, जबकि करीब 17 लाख 5270 मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है. बाकी धान किस राज्य से आया और किस किसान का है. इसका जवाब किसी के पास नहीं.
मंडियों में देश का कोई भी किसान अपनी उपज कहीं भी बेच सकता है. इसकी आड़ में कुछ व्यापारी दूसरे राज्यों से धान लाकर यहां बेचते हैं. आशंका जताई जाती है कि सस्ता धान लाकर उसे बढ़े हुए दामों पर बेचा जाता है.
कुल उपज से धान की खरीद हो रही ज्यादा
राइस मिलों में पारदर्शिता से जांच में ही पता चलेगा कि अनाज मंडियों से गेट पास कटवाकर कितनी मात्रा में धान लाया गया. राइस मिलर्स को दिए गए धान के स्टॉक की जांच के लिए सरकार और प्रशासन हरकत में हैं. करनाल जिले में 316 राइस मिलों को 16 लाख 22 हजार 154 मीट्रिक टन धान दिया गया है. इसके एवज में सरकार 67 प्रतिशत चावल लेगी.
मिलों की जांच में जुटी सरकार
साथ ही मिलिंग के बदले राइस मिल को उसका मेहनताना देगी. अनाज मंडियों से राइस मिलों में धान जाने के बाद सरकार जांच में जुटी है, लेकिन इसमें क्या सामने आएगा? ये खुलासा प्रशासनिक अधिकारी जांच के बाद ही कर सकेंगे. जिले के चार एसडीएम के अधीन जांच चल रही है.