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National Reading Day 2021: डिजिटल होती पढ़ाई में वीरान हुए पुस्तकालय, कोरोना काल में छात्रों ने बनाई दूरी

कभी लोगों से गुलजार रहने वाले पुस्तकालय आज कोरोना की वजह से वीरान पढ़े हैं. आज आलम ये है कि करनाल के पुस्तकालयों में हजारों किताबें तो मौजूद हैं, लेकिन इन्हें पढ़ने वाला कोई नहीं है.

National Reading Day 2021
डिजिटल होती पढ़ाई में वीरान हुए पुस्तकालय, कोरोना काल में छात्रों ने बनाई दूरी

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Published : Jun 19, 2021, 7:10 PM IST

करनाल:नेशनल रीडिंग डे (National Reading Day 2021) पर ईटीवी भारत की टीम करनाल के पुस्तकालयों में पहुंची. कभी छात्रों से गुलजार रहने वाले ये पुस्तकालय अब कोरोना वायरस की वजह से वीरान पढ़े हैं. यहां पढ़ने के लिए हजारों किताबें मौजूद हैं, लेकिन फिलहाल इन्हें पढ़ने वाला कोई नहीं है. कोरोना के डर से लोग पुस्तकालय आने से परहेज कर रहे हैं.

करनाल के ई-पुस्तकालयों के संचालकों ने बताया कि जिले में लगभग 100 के करीब बच्चों ने इन्हीं ई-पुस्तकालयों से ज्ञान अर्जित कर सरकारी परीक्षाओं को पास किया है. जिला ई-पुस्तकालय के अधिकारी सोमपाल सिंह ने बताया कि इन पुस्तकालयों से ग्रामीण एरिया के बच्चों को काफी फायदा मिला है. आने-वाले समय में सरकार की तरफ से 7 अन्य डिजिटल पुस्तकालयों को खोलने का प्लान है.

डिजिटल होती पढ़ाई में वीरान हुए पुस्तकालय, कोरोना काल में छात्रों ने बनाई दूरी

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बाल भवन स्थिति लाइब्रेरी की संचालिका संध्या ने कहा कि इस लाइब्रेरी के जरिए डिजिटल माध्यम से बच्चे ज्ञान अर्जित करते हैं. टैब में बहुत सी किताबों का भंडार है जो बच्चों के ज्ञान को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है. बहुत से बच्चे इस टाइप की मदद से ऑनलाइन परीक्षा की तैयारी करते हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना काल में बच्चे ना के बराबर ही यहां आ रहे हैं.

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वहीं जिला पुस्तकालय में किताब लेने पहुंची छात्रा प्रीति दहिया ने बताया कि आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है. सरकार द्वारा पुस्तकालयों को ओर बढ़ावा देना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इसका लाभ उठा सकें. प्रीति ने अपील करते हुए कहा कि बच्चे रीडिंग की तरफ फोकस करें और इंटरनेट का सही उपयोग करें.

क्यों मनाया जाता है नेशनल रीडिंग डे ?

केरल में लाइब्रेरी मूवमेंट के जनक कहे जाने वाले पीएन पनिकर की पुण्य तिथि पर हर साल 19 जून को नेशनल रीडिंग डे मनाया जाता है. पनिकर ने केरल में 47 ग्रामीण पुस्तकालयों की स्थापना के साथ अपने नेटवर्क में 6,000 पुस्तकालयों को जोड़ा था. पढ़ो और बढ़ो के नारे के साथ-साथ उन्होंने केरल के ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूम कर लोगों को पढ़ने के महत्व के बारे में बताया. जिसका नतीजा ये है कि आज केरल की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है.

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