करनाल: राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहली बार भैंस की पूछ के टुकड़े से क्लोन पैदा (clone from buffalo tail Karnal) करने में सफलता हासिल की है. संस्थान की इस तकनीक से देश में दुग्ध उत्पादन दोगुना होने के साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी. बता दें कि NDRI ने 2009 से लेकर अब तक 11 क्लोन पैदा किए है. जिसमें 7 मेल व 4 फीमेल शामिल है. केंद्र सरकार द्वारा अप्रूवल मिलने के बाद यह तकनीक किसानों तक पहुंचेगी.
करनाल की राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (National Dairy Research Institute Karnal) के निदेशक डॉ. एम.एस. चौहान ने बताया कि यह क्लोनिंग के क्षेत्र में एक नई सफलता है. उनकी रिसर्च सही दिशा में आगे बढ़ रही है. डॉ. चौहान ने कहा कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में पशुपालन का अहम स्थान है. देश में भैंस का कुल दुग्ध उत्पादन में लगभग 50 फीसदी का योगदान है और यह किसानों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. उन्होंने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने में पशुपालन एक अहम भूमिका निभा सकता है. संस्थान के द्वारा क्लोनिंग किए गए पशुओं के सीमन से दूध उत्पादन दोगुना हो सकता है.
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भैंस की पूंछ से पैदा किया क्लोन: क्लोनिंग से पैदा बच्चों के बारे में डॉ. चौहान ने कहा कि 1 बच्चे का जन्म 26 जनवरी को हुआ था. जिसका नाम गणतंत्र रखा गया है, जबकि क्लोन कटड़ी का नाम कर्णिका रखा गया है. जो कर्ण की नगरी के नाम पर रखा गया है. इसमें एक भैंस की पूंछ से लिए गए सेल से किया गया है. निदेशक ने कहा कि क्लोनिंग में उत्तम नस्ल की मुर्रा भैंस का प्रयोग किया जाता है, जिसकी जेनेटिक क्षमता ज्यादा दूध देने की होती है. ऐसे में सामान्य भैंस के मुकाबले क्लोन पशु के सीमन से पैदा होने वाली भैंस में दूध उत्पादन 14 से 16 लीटर प्रति दिन होता है. जबकि सामान्य भैंस में 6 से 8 किलो प्रति दिन दूध उत्पादन की क्षमता पाई जाती है.