करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि और त्योहार का काफी महत्व है जिसको हिंदू लोग काफी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. हिंदू धर्म में पंचांग के आधार पर ही हर त्यौहार को मनाया जाता है. वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीना चल रहा है जो हिंदू साल पहला महीना होता है और इस महीने का काफी महत्व है क्योंकि इसमें हिंदुओं के कई प्रमुख त्यौहार आते हैं. 24 मार्च को हिंदू पंचांग के अनुसार मत्स्य जयंती मनाई जा रही है. मत्स्य जयंती चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने अपने 10 अवतारों में से सबसे पहला अवतार मत्स्य अवतार ही लिया था, जो चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को लिया गया था. शास्त्रों में बताया गया है कि है अवतार उन्होंने मानव कल्याण के लिए लिया था.
मत्स्य जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त: हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु को काफी प्रभावशाली भगवान मानते हैं और माना जाता है कि जब-जब कोई भी विपदा पड़ी है अभी भगवान विष्णु ने अपने अवतार लेकर उस विपदा से देवता और मनुष्य जाति का कल्याण किया है मत्स्य अवतार भी भगवान विष्णु ने मानव कल्याण के लिए लिया था. चैत्र महीने की मत्स्य जयंती 24 मार्च को है, जो चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ रहा है. चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 23 मार्च को 12:30 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 24 मार्च को शाम 5:00 बजे होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार मत्स्य जयंती सूर्य उदय तिथि के साथ 24 मार्च को मनाई जाएगी इसकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय सुबह 10:00 बजे से शाम के 4:15 तक रहेगा.
मत्स्य जयंती की पूजा का विधि विधान:इस दिन सूर्योदय से पहले उठ कर मनुष्य को पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. मान्याता है कि जो भी इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दे उसके उपरांत भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें. पूजा करने से पहले अपने मंदिर में पीले रंग का कपड़ा डालकर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें.