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बर्खास्त PTI शिक्षकों को लेकर सीएम मनोहर लाल ने दिया बड़ा बयान - karnal news

नौकरी से निकाले गए पीटीआई टीचरों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट का फैसला है और ये भर्ती कांग्रेस सरकार के समय हुई थी. इसमें सरकार का कुछ भी लेना देना नहीं है.

manohar lal statement on Sacked pti teacher in karnal
manohar lal statement on Sacked pti teacher in karnal

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Published : Jun 26, 2020, 2:54 PM IST

करनाल: हरियाणा में बर्खास्त पीटीआई टीचरों का विरोध प्रदर्शन जारी है. ये टीचर सरकार से वापस नौकरी बहाली की मांग कर रहे हैं. इसी बीच निकाले गए पीटीआई टीचरों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़ा बयान दिया है.

पीटीआई टीचर्स पर सीएम का बयान

इस पर मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि नौकरी से निकाले गए टीचरों का ये फैसला सुप्रीम कोर्ट का है. इस भर्ती प्रक्रिया में हुई कमी को लेकर उन्होंने कांग्रेस का नाम लिया और कहा कि ये भर्ती कांग्रेस सरकार के समय हुई थी. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने इनकी भर्ती को 2012 में ही अवैध करार दे दिया था, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में गया.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि निकाले गए टीचरों को दोबारा नौकरी पर रखा जाएगा, लेकिन उसके लिए इन टीचरों को फिर से पेपर और इंटरव्यू देना होगा. यानि नौकरी वापस लेने के लिए दोबारा से प्रक्रिया को पार करना होगा, लेकिन अब नई प्रक्रिया के तहत इनकी उम्र भी निकल गई है. सवाल ये उठता है कि ज्यादा उम्र होने के बाद ये फॉर्म कैसे भर पाएंगे?

बर्खास्त PTI शिक्षकों को लेकर सीएम मनोहर लाल ने दिया बड़ा बयान.

सरकार से बहाली की कर रहे हैं मांग

बता दें कि, निकाले गए टीचरों का प्रदेश सरकार पर आरोप है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इन टीचरों के लिए कोई ठोस पैरवी नहीं की. बर्खास्त टीचर मांग कर रहे हैं कि सरकार अध्यादेश लाकर कोर्ट के फैसले को बदले और इन्हें वापस नौकरी पर रखे.

ये है पूरा मामला

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. भर्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है.

आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ ये भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

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इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.

इसके बाद से ही पीटीआई टीचर लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

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