करनाल:अक्सर आपने सड़कों पर बहुत सारे किन्नरों को लोगों से पैसे मांगते हुए देखा होगा, या फिर किसी के घर में खास अवसरों पर बधाई देते समय किन्नरों को पैसे मांगते देखा होगा. हो सकता है ये किन्नर आपके घर भी किसी उत्साह अवसर पर बधाई देने आए होंगे तो किन्नरों को पैसे मांगते और लेते भी देखा ही होगा. लेकिन, आज हम आपको ऐसे किन्नर की कहानी बता रहे हैं, जिसने लोगों से कभी मांगा नहीं, बल्कि अपने स्वाभिमान के लिए मेहनत की. चलिए आपको बताते हैं करनाल में रहने वाली किन्नर अदिति शर्मा की संघर्ष भरी कहानी.
दिल्ली में हुआ अदिति का जन्म: किन्नर अदिति शर्मा का जन्म व पालन पोषण दिल्ली में हुआ, लेकिन किन्नर होने की वजह से उन्होंने भी अपने घरवालों से दूरी बनाकर अपनी अलग ही राह चुनी. उन्होंने स्कूली शिक्षा भी दिल्ली से ही की उसके बाद ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन भी दिल्ली से की. पढ़ाई पूरी करने के बाद अदिति ने दूसरे किन्नरों की तरह मांगने की बजाय खुद कमा कर जीवन के गुजर-बसर के बारे में सोचा. जिसके लिए अदिति शर्मा ने कई जगह प्राइवेट नौकरी भी की.
शिक्षा भी, समाज सेवा भी और स्वाभिमान भी: उन्होंने एक सर्वे टीम में भी काम किया है. जिसके लिए वह हरियाणा में भी राजनीतिक पार्टियों के लिए सर्वे किया करती थीं. इसके बाद अदिति दिल्ली से करनाल आईं और साल 2014 से ही करनाल में शिफ्ट हो गईं. उन्होंने यहां पर आकर देखा कि अपने रोजी रोटी के लिए क्या काम किया जाए. फिर उन्होंने एक दिन गरीब बच्चों को ऐसे ही सड़कों पर घूमते हुए देखा. उनके मन में विचार आया कि वह करनाल में इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करेंगी. जिसमें वह गरीब लोगों के बच्चों को नाममात्र फीस में ही शिक्षा देंगी. इससे रोजी रोटी भी चलती रहे और गरीब परिवार के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिलती रहे.
समस्याओं के बीच बुलंद हौसला: इस विचार के साथ उन्होंने 2015 में हरियाणा पब्लिक स्कूल के नाम से पांचवीं कक्षा तक का इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किया. इसका रजिस्ट्रेशन भी कराया जा चुका है. स्कूल का शुरू से ही अच्छा रुझान देखने को मिला था और बच्चों की संख्या काफी अच्छी थी. लेकिन, अदिति शर्मा के सामने भी वही समस्या आई कि वह एक किन्नर थीं. किन्नर को समाज में अच्छी नजर से नहीं देखते थे और आसपास के लोगों ने एतराज जताना शुरू कर दिया. जिसके चलते बच्चों की संख्या देखते ही देखते कम हो गई. अदिति के अलावा 2 और शिक्षक भी स्कूल में पढ़ा रहे हैं.
ऐसी सोच को सलाम है!: मौजूदा समय में अदिति शर्मा के स्कूल में 50 के आसपास विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह उनको इंग्लिश मीडियम की तरह पढ़ाती हैं और ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार के ही हैं. वह चाहती हैं कि वह तो अपना भविष्य नहीं बना सकीं, कम से कम इन गरीब बच्चों का भविष्य बन जाए. इसी तरह से समाज सेवा भी हो जाएगी. बच्चों का भी भला हो जाए और उनकी रोजी रोटी भी चलती रहेगी.