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Women’s Day Special: महिलाओं के लिए मिसाल बनी डॉ. संतोष दहिया, कुछ इस तरह लड़ रही हितों की लड़ाई - haryana latest news

Women’s Day Special: विश्व महिला दिवस पर ईटीवी भारत लाया है, आपके लिए खास पेशकश. जिसमें ईटीवी भारत आपको ऐसी महिलाओं से मिलवाएगा, जिन्होंने अपने बलबूते से समाज सुधारक कार्य किए हैं. आइए आज मिलवाते हैं एक ऐसी ही महिला डॉ. संतोष दहिया से. जिन्होंने सामाजिक कुप्रथाओं से लड़ते हुए महिलाओं की आवाज उठाई.

Santosh Dahiya of Haryana
Santosh Dahiya of Haryana

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Published : Mar 3, 2022, 3:45 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 4:56 PM IST

कुरुक्षेत्र: वर्तमान समय में महिलाओं को कम आंकना समाज की सबसे बड़ी गलती साबित हो रही है. आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपना सफलताओं के परचम लहरा रही है. ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में महिलाओं ने अपने सितारे बुलंद कर देश का नाम रोशन किया है. पुरुष प्रधान माने जाने वाले हरियाणा में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सामाजिक कार्यों में अपना अहम योगदान दे रही हैं. महिलाएं अब घूंघट की आड़ से बाहर निकलकर समाज सुधार के कार्यों में अपनी अहम भूमिका अदा कर रही हैं.

ऐसी ही एक शख्सियत है रोहतक में जन्मी डॉक्टर संतोष दहिया. हरियाणा में संतोष दहिया सर्वजातीय खाप पंचायतों की महिला प्रमुख और एशियन वूमैन बॉक्सिंग कमीशन की सदस्य भी हैं. इतना ही नहीं संतोष दहिया राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हो चुकीं है. इसके साथ ही संतोष सामाजिक कुप्रथाओं से लड़ते हुए महिलाओं की आवाज उठा रही हैं.

Women’s Day Special: महिलाओं के लिए मिसाल बनी डॉ. संतोष दहिया, कुछ इस तरह लड़ रही हितों की लड़ाई

कौन हैं संतोष दहिया?-डॉक्टर संतोष दहिया पेशे से प्रोफेसर हैं और सर्वखाप महिला महापंचायत की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जो भारत में महिलाओं की पहली महिला खाप है. इसके जरिये वो महिला उत्थान के कार्य करती हैं. संतोष शुरूआत से ही सामाजिक कार्य करती आ रही हैं. जिसके लिए उनको 2016 में राष्ट्रपति ने भी सम्मानित किया था. संतोष दहिया आज एक महिला खाप का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. वे महिलों को घूंघट से बाहर निकलने के लिए अपना अहम योगदान दे रही हैं. इसके साथ ही वे भ्रूण हत्या के खिलाफ भी अपनी आवाज को बुलंद किए हुए हैं. इसके तहत वह ना सिर्फ महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, बल्कि पुरूषों को भी इसके खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित- देशभर से चयन की गई सौ महिला विजेताओं को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ लंच के लिए आमंत्रित किया गया था. राष्ट्रपति भवन में 2016 में आयोजित इस लंच में स्वयं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उपस्थित रहे. इसी कार्यक्रम में सभी विजेताओं को सम्मानित किया गया. बता दें कि फेसबुक की ओर से देश की 250 महिलाओं में से 100 महिलाओं को वोटिंग के माध्यम से चुना गया था. जिसमें प्रदेश की कुल 5 महिला अधिकारियों का अलग-अलग श्रेणियों में चयन किया गया था. इनमें डॉ. संतोष दहिया को वूमेन इन पब्लिक लाइफ श्रेणी में चयनित कर समामजिक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया था.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से सम्मानित संतोष दहिया

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'जब सरकारें सो जाती हैं तो समाज को उठना चाहिए'-ईटीवी भारत से बात करते हुए संतोष ने बताया कि उन्होंने कॉलेज में अन्य लड़कियों के साथ मिलकर टीम बनाई थी, जो घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद करती थी. मास्टर्स करने के बाद उन्होंने पूरी तरह महिलाओं के लिए काम करना शुरू कर दिया. साथ ही संतोष ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया है. लाखों लोगों को वो इसके लिए जागरूक कर चुकी हैं. उनका कहना है, "जब सरकारें सो जाती हैं तो समाज को उठना चाहिए."

'मां ने हमेशा बढ़ाया हौसला'- ईटीवी भारत से संतोष ने बताया कि लड़कियों को बचपन से ही हर चीज के लिए लड़ना पड़ता है. लड़कियों को स्कूल जाने से पहले घर के काम करने पड़ते थे. स्कूल से आकर घर, पशुओं और खेत का काम करना पड़ता था. उन्होंने कहा कि मेरा सफर आसान नहीं रहा, लेकिन मेरी मां ने मुझे बहुत हिम्मत दीं. वो मेरी आदर्श हैं. वो खुद अनपढ़ थीं, लेकिन मुझे पढ़ाया लिखाया." जिसकी वजह से वे इस मुकाम पर पहुंची है. साथ ही संतोष ने बताया कि हम ऑनर किलिंग के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. खाप पंचायते कन्या भ्रूण हत्या रोकने के प्रयास कर रही हैं और इसके नतीजे भी दिखने शुरू हो गए हैं.

जरूरतमंद महिलाओं की मदद करती संतोष दहिया

पर्दा प्रथा को खत्म करने के लिए काम कर रहीं हैं संतोष दहिया-संतोष ने बताया कि उन्होंने 'म्हारा बाणा पर्दा मुक्त हरियाणा' अभियान चलाया था. इसके तहत वो महिलाओं को पर्दा (घूंघट) हटाने के लिए प्रेरित करती हैं. उन्होंने हरियाणा के पीपली गांव को गोद लेकर उसे पर्दा मुक्त किया है. इसके बाद उन्होंने कई महिला सरपंचों को पर्दे से बाहर आकर खुद पद की जिम्मेदारी संभालने को प्रेरित किया. संतोष ने बताया कि वो घरेलू हिंसा के मामले निपटाने में भी महिलाओं की मदद करती हैं. संतोष दहिया कहती हैं कि लड़कियों को कमजोर समझने वाले लोग मानसिक रूप से बीमार है. देश की बेटियां ओलंपिक में मेडल जीत रही हैं, हवाई जहाज उड़ा रही हैं. महिलाओं को केवल मौके की जरूरत हैं, महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं.

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महिलाओं को आगे लाने के लिए सबसे जरूरी क्या ?-इस सवाल के जवाब में संतोष ने कहा, "सबसे जरूरी है कि मां-बाप अपने लड़के और लड़की को बराबर समझें और लड़कियों को आत्मसम्मान से भरें. उन्हें कहे कि आत्मसम्मान जरूरी है. स्कूल-कॉलेजों में लड़कियों के लिए मोटिवेशनल प्रोग्राम चलें, सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग के साथ-साथ दिमागी तौर पर भी मजबूत बनाएं. संतोष ने कहा कि शिक्षा एक बड़ा हथियार है. अगर वो शिक्षित होंगी, उनमें आत्मविश्वास होगा और घर वालों का साथ होगा तो उनमें हिम्मत आएगी. संतोष दहिया ने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि वो हिम्मत बनाएं रखे. महिलाओं में आत्मविश्वास जरूरी है. अपने टैलेंट को पहचाने और उसी दिशा में आगे बढ़ें.

सैनेटरी पेड का वितरण करने के लिए कार्य करती संतोष एवं अन्य महिलाएं

संतोष दहिया को लेकर महिलाओं की राय-डॉक्टर संतोष दहिया के साथ काम कर रही ज्योति शर्मा ने कहा कि संतोष दहिया महिलाओं के उत्थान के लिए काफी काम कर रही हैं. हम भी उनके साथ मिलकर महिलाओं को आगे लाने में लगातार प्रयास कर रहे हैं. चाहे वह लड़कियों व महिलाओं की शिक्षा की बात हो, चाहे भ्रूण हत्या की बात हो. सिलाई सेंटर से लेकर अन्य कई रोजगार तक के काम संतोष दहिया महिलाओं के लिए कर रही हैं. जो दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा से कम नही है.

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Last Updated : Mar 3, 2022, 4:56 PM IST

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