करनाल: इस बार ज्येष्ठ महीने की शुरुआत 6 मई से हो रही है. ज्येष्ठ का महीना हिंदू धर्म में काफी खास माना गया है. इस महीने में कई ऐसी तिथि और त्योहार आते हैं जिनका विशेष महत्व है. ज्येष्ठ महीने में भगवान विष्णु, मां गंगा और हनुमान जी की पूजा करने का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. माना जाता है कि जो भी इस महीने में इन तीनों की पूजा करता है, उनकी मन की इच्छा पूरी होती है.
ज्येष्ठ महीने का महत्व- हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ साल का तीसरा महीना होता है. इस महीने का स्वामी मंगल को माना जाता है. ज्येष्ठ महीने में जल का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इस महीने में गर्मी पूरे चरम सीमा पर होती है. इसके साथ ही माना गया है कि ज्येष्ठ महीने में सूर्य काफी बलवान होता है. इस समय उसका तेज सबसे ज्यादा होता है. ज्येष्ठ में भगवान सूर्य की पूजा भी बहुत फलदायी मानी जाती है. शास्त्रों के मुताबिक ज्येष्ठ के महीने में वरुण देवता की पूजा की जाती है क्योंकि वरुण देव जल के देवता हैं.
ज्येष्ठ महीने में हनुमान व सूर्य देव की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ महीने में ही गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, इसीलिए गंगा दशहरा भी इसी महीने में मनाया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान इस महीने में जल का दान करता है या फिर जल से संबंधित व्रत रखते हैं, जैसे कि गंगा दशहरा व्रत, निर्जला एकादशी, उन्हें सभी ग्रह-दोषों से मुक्ति मिलती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस महीने की पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनता है. इस महीने में दिन सबसे लंबे होते हैं इसलिए भी इस महीने को ज्येष्ठ या जेठ कहा जाता है. ज्येष्ठ का मतलब सबसे बड़ा होता है.
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