हरियाणा

haryana

Indo Israel Agro Center in Haryana: इजरायल की मदद से हरियाणा में चलाए जा रहे 5 इंडो इजरायल कृषि केंद्र, ट्रेनिंग लेकर लाखों किसान हो रहे मालामाल

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 31, 2023, 1:39 PM IST

Indo Israel Agro Center in Haryana इजरायल और हमास के बीच युद्ध के कारण दुनिया के कई देश प्रभावित हैं. वहीं, कृषि के क्षेत्र में विकास के लिए भारत इजरायल की तकनीक का फायदा उठा रहा है. दोनों देशों की सहायता से हरियाणा में पांच इंडो इजरायल कृषि केंद्र स्थापित किए गए हैं. इन कृषि केंद्रों में किसानों को पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक खेती के जरिए कम लागत में ज्यादा आमदनी का गुर सिखाया जाता है. आखिर इन केंद्रों में किसानों को किस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है और कहां-कहां ये केंद्र स्थापित है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...(Indo israel agro center in haryana contact number indo israel agro center in haryana address centre of excellence for fruits in haryana Israel agricultural technology)

Indo israel agro center in haryana
इजरायल की मदद से हरियाणा में चलाए जा रहे इंडो इजरायल कृषि केंद्र

इजरायल की मदद से हरियाणा में चलाए जा रहे 5 इंडो इजरायल कृषि केंद्र

करनाल: इजरायल और हमास के बीच युद्ध के चलते इन दिनों दुनिया के कई देश प्रभावित हैं. वहीं, अगर बात करें इजरायल को काफी विकसित देश माना जाता है, क्योंकि वहां की तकनीक काफी अच्छी होती है. सैन्य शक्ति के साथ-साथ वहां की कृषि की तकनीक भी इजरायल के साथ-साथ अन्य कई देशों में चलाई जा रही है, क्योंकि इजरायल की कृषि की तकनीक को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. वहां पर कम पानी और कम जमीन पर भी खेती की जा रही है.

इजरायल की कृषि तकनीक का फायदा उठा रहा भारत: इजरायल की तकनीक का फायदा भारत भी उठा रहा है. हरियाणा में इंडो इजरायल दोनों देशों सहायता से पांच कृषि केंद्र चलाए जा रहे हैं, जो हरियाणा में किसानों की स्थिति को सुधारने पर काम कर रहे हैं और खेती में नए-नए आयाम स्थापित करके किसानों को मुनाफा पहुंच रहे हैं, इजरायल की ड्रिप इरीगेशन और सुरक्षित खेती ने हरियाणा के किसानों की स्थिति को काफी सुधारा है.

कुरुक्षेत्र जिले के में इंडो इजरायल उप उष्ण कटिबंधीय फल केंद्र.

हरियाणा में कृषि क्षेत्र में इजरायल का योगदान: इजरायल की तकनीक के चलते हरियाणा के किसान खेती में नए-नए संसाधनों और तकनीक का प्रयोग करके अपनी खेती को और भी ज्यादा बेहतर बनाया रहे हैं, तो आइए जानते हैं कि यह कृषि केंद्र कहां-कहां स्थित है और यहां पर कृषि में कौन से फसल के ऊपर काम किया जा रहा है. इससे किसानों को कितना फायदा मिला है. हरियाणा में खेती के क्षेत्र में इजरायल का कितना योगदान है.

इजरायल की सहायता से हरियाणा में 5 इंडो इजरायल कृषि केंद्र.

इंडो इजरायल सब्जी उत्कृष्ट केंद्र घरौंडा करनाल: हरियाणा सरकार ने इजरायल सरकार के साथ मिलकर हरियाणा के करनाल जिले में सब्जी उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किया हुआ है. यहां पर भारत और इजरायल की तकनीक को मिलाकर सब्जी के क्षेत्र में काम किया जा रहा है. यहां पर कई ऐसी तकनीक ईजाद किया गया है, जिससे किसान उसका इस्तेमाल करके अपनी खेती को मुनाफे का सौदा बना रहे हैं. इस संस्थान के कृषि विशेषज्ञों के द्वारा सब्जी के क्षेत्र में कम पानी में ज्यादा पैदावार कैसे लें. कम जगह पर ज्यादा पैदावार कैसे लें. कीट और बीमारी रहित सब्जी तैयार करना, किसानों को जैविक खाद तैयार करने की विधि बताना आदि बहुत सी चीजों पर काम किया जा रहा है.

इजरायल की कृषि तकनीक से किसान कर रहे आधुनिक खेती.

किसानों को नई तकनीक से खेती करने के लिए जागरूक करना मुख्य उद्देश्य: संस्थान का मुख्य उद्देश्य यह भी होता है कि जो सब्जी के क्षेत्र में नए-नए बीज सामने आते हैं, उन पर रिसर्च करके ज्यादा उत्पादन देने वाले बीजों को किसानों तक पहुंचाना ताकि उसे किसानों को फायदा हो सके. इस संस्थान में किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जहां पर एक दशक में करीब एक लाख से ज्यादा किसानों को इस संस्थान में प्रशिक्षण दिया जा चुका है. इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि किसान परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती को छोड़कर नई तकनीक को अपने और अच्छा मुनाफा कमाए. वही यह एक ऐसा संस्थान है जिसने सरकारी संस्थान के तौर पर सबसे पहले पूरे भारत में रंगीन गोभी तैयार की थी.

किसान पारंपरिक खेत छोड़ नई तकनीक से खेती कर किसान मालामाल.

पॉली हाउस में सब्जियों की खेती: इस संस्थान के द्वारा टमाटर और बैंगन की ऐसी खेती की जाती है जहां 1 एकड़ से किसान परंपरागत तरीके से जितनी पैदावार लेते हैं. इस संस्थान की तकनीक से वह एक एकड़ से उसे करीब 8 से 10 गुना ज्यादा पैदावार लेते हैं. इस संस्थान में कोकोपीट विधि के द्वारा बिना मिट्टी के टमाटर और बैंगन उगाए जाते हैं, जो तकनीक किसान यहां से सीखते हैं उस तकनीक में किसान ड्रिप इरीगेशन विधि से सिंचाई करते हैं जिसमें पानी की भी बचत होती है, संस्थान का मुख्य उद्देश्य है कि सब्जी क्षेत्र में नए-नए आयाम स्थापित किए जाएं. इसी के चलते किसानों को संस्थान के द्वारा बताया जाता है कि नेट या पॉली हाउस में सब्जियों की खेती करें, जिसमें पैदावार अच्छी होती है और किट कम लगते हैं.

पॉली हाउस में टमाटर की खेती

इंडो इजरायल उप उष्ण कटिबंधीय फल केंद्र लाडवा कुरुक्षेत्र:अब हम बात करते हैं हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा कस्बे में स्थित इंडो इजरायल उप उष्ण कटिबंधीय फल केंद्र की जो इंडो इजरायल दोनों देशों की तकनीक के साथ स्थापित किया गया है. संस्थान में हरियाणा के जितने भी किसान फलों की खेती करते हैं, उन सभी के लिए इस केंद्र को स्थापित किया गया है. यहां पर किसानों के लिए नई-नई किस्म के फलों के पौधे तैयार किए जाते हैं जो अच्छी पैदावार देते हैं. संस्थान ने ऐसे ही चीजों पर काम किया है जैसे कि कम पानी में ज्यादा पैदावार लेना.

इजरायल की कृषि तकनीक से टमाटर की खेती.

संस्थान से ट्रेनिंग लेकर लाखों किसान कर रहे फलों की खेती: हरियाणा के कौन से भाग में कौन से फल की ज्यादा खेती हो सकती है उस पर काम करना आदि कई चीजों पर संस्थान ने काम किया है. संस्थान करीब एक दशक फलों की खेती करने वाले किसानों के लिए नए-नए तकनीक के साथ फलों की खेती को किसानों तक पहुंचा रहे हैं. इस संस्थान में फलों के पौधों की देखभाल से लेकर उसमें लगने वाले कीट और बीमारियों की जानकारी किसानों को दी जाती है जिसमें अब तक लाखों किसान यहां से ट्रेनिंग लेकर हरियाणा में फलों की खेती कर रहे हैं.

इजरायल की कृषि तकनीक से गोभी की खेती.

इजरायल की तकनीक का भरपूर लाभ उठा रहे हरियाणा के किसान: हरियाणा में आम की बागवानी को बढ़ावा देने के लिए यहां पर आम की नई-नई किस्म तैयार की जाती है जो किसानों तक पहुंचाई जाती है. वहीं, अन्य जो फलों की खेती करते हैं उनके लिए यहां पर रिसर्च की जाती है कि हरियाणा में किस फल की खेती की जा सकती है जिसे किसानों को अधिक उत्पादन मिले. यह हरियाणा और इजरायल दोनों की तकनीक को मिलकर बनाया गया है. इजरायल की तकनीक से ही यहां पर फलों की खेती करने के बारे में किसानों को सिखाया जाता है, जिसका हरियाणा के किसान भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं.

इजरायल की कृषि तकनीक से फल को लेकर भी प्रयोग.

इंडो इजरायल एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र रामनगर कुरुक्षेत्र: इंडो इजरायल दोनों देशों की तकनीक के चलते हरियाणा में पांच संस्थान स्थापित किए गए हैं जहां पर इजरायल की तकनीक से बागवानी को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है. वहीं, अगर बात करें बागवानी में मधुमक्खी पालन को भी शामिल किया गया है. मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कुरुक्षेत्र के रामनगर में इंडो इजरायल एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र स्थापित किया गया है. इस केंद्र में पिछले करीब एक दशक से मधुमक्खी पालक इजरायल की तकनीक से मधुमक्खी पालन करना सीख रहे हैं. मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को कैसे कम मधुमक्खियां से ज्यादा शहद लिया जा सकता है और शहद की प्रोसेसिंग करके कैसे अच्छे भाव में शहद बेच सकते हैं. वहीं, गर्मी और सर्दियों के मौसम में मधुमक्खियां का ध्यान कैसे रखें ताकि शहर के उत्पादन पर प्रभाव न पड़े. इन्हीं सभी तकनीक पर इजरायल की सहायता से किसानों को नए-नए गुर सिखाए जा रहे हैं.

इजरायल की कृषि तकनीक से बैंगन की खेती.

इंडो इजरायल फल उत्कृष्ट केंद्र डबवाली सिरसा: हरियाणा में 2 इंडो इजरायल फल उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किए हुए हैं एक कुरुक्षेत्र में है तो दूसरा हरियाणा के जिले सिरसा के डबवाली क्षेत्र में स्थापित किया हुआ है, इस संस्थान से हरियाणा ही नहीं दूसरे राज्यों के किसानों को भी फायदा हो रहा है जो इजरायल की तकनीक से फलों की खेती करने के लिए इजरायली विधि से नए-नए गुर सीख रहे हैं. सिरसा एक रेतीली भूमि वाला जिला है और वहां पर इजरायल की विधि से रेत वाली जमीन पर फलों की अच्छी पैदावार लेने के लिए कैसे और कौन सी तकनीक अपनाए उस पर यह संस्थान कम कर रहा है जिसका किस फायदा उठा रहे हैं, इजराइली विधि से किस पानी के एक-एक बूंद का प्रयोग करके उन्नत खेती कर रहे हैं, यहां पर ड्रिप इरीगेशन विधि से सिंचाई की जाती है जिसे किस अच्छी पैदावार लेते हैं और अच्छी क्वालिटी के फल तैयार करते हैं यहां कन्नू पर विशेष तौर पर काम किया जा रहा है जहां किन्नू की नई-नई किस्म ईजाद कर कर किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचाया जा रहा है.

इंडो इजरायल अर्ध सूक्ष्म बागवानी उत्कृष्ट केंद्र भिवानी:इजरायल की सहायता से भारत के हरियाणा राज्य के भिवानी जिले में लगने वाला यह कृषि का पांचवा संस्थान है जो इजरायल की तकनीक से यहां पर बनाया गया है यह भिवानी के गिगनाऊ गांव की भूमि पर करीब 50 एकड़ जमीन पर बनाया गया हैँ जिसका उद्घाटन 2023 के जनवरी के महीने में किया जा चुका है, यह करीब 13 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है. यह बागवानी विभाग में ही काम करने के लिए नए-नए तकनीकी स्थापित किया गया है.

संस्थान में फल और सब्जी दोनों पर रिसर्च: बागवानी में अर्ध सूक्ष्म विभाग पर यहां पर काम किया जाएगा और किसानों को इसका लाभ पहुंचाया जाएगा. इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसानों के लिए नए संसाधन स्थापित करके उनको कृषि बागवानी क्षेत्र में ज्यादा मुनाफा दे. इस संस्थान में फल और सब्जी दोनों पर काम किया जाएगा, जैसे की खजूर, बादाम, अमरूद, अनार, नींबू, नाशपाती, बेर, ड्रैगन फ्रूट, रेड वर्ल्ड माल्टा ओर स्ट्रॉबेरी आदि फलों के पौधों पर काम किया जा रहा है. इसके साथ ही नई-नई किस्में ईजाद की जा रही हैं. यह सभी तकनीक इजरायल के द्वारा स्थापित की गई है और उसका फायदा किसानों को पहुंचाया जा रहा है. इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य है कि यहां पर हर वर्ष करीब 50 लाख फल और सब्जियों के पौधे किसानों के लिए तैयार किए जाएंगे.

क्या कहते हैं इंडो इजरायल फल उत्कृष्ट केंद्र डबवाली सिरसा के डायरेक्टर?: संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर बिल्लू यादव ने बताया कि हरियाणा में दो इंडो इजराइल फल उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किए हुए हैं. एक कुरुक्षेत्र में है तो दूसरा हरियाणा के जिले सिरसा के डबवाली क्षेत्र में स्थापित किया गया है. इन दोनों सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर बिल्लू यादव ने बताया 'इस संस्थान से हरियाणा ही नहीं दूसरे राज्यों के किसानों को भी फायदा हो रहा है, जो इजरायल की तकनीक से फलों की खेती करने के लिए इजरायली विधि से नए-नए गुर सीख रहे हैं. सिरसा एक रेतीली भूमि वाला जिला है और वहां पर इजरायल की विधि से रेट वाली जमीन पर फलों की अच्छी पैदावार लेने के लिए कैसे और कौन सी तकनीक अपनाए उस पर यह संस्थान कम कर रहा है जिसका किस फायदा उठा रहे हैं. इजरायल विधि से किस पानी के एक-एक बूंद का प्रयोग करके उन्नत खेती कर रहे हैं. यहां पर ड्रिप इरीगेशन विधि से सिंचाई की जाती है, जिससे अच्छी पैदावार होती है और अच्छी क्वालिटी के फल तैयार करते हैं. यहां किन्नू पर विशेष तौर पर काम किया जा रहा है. किन्नू की नई-नई किस्म ईजाद कर कर किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचाया जा रहा है.'

आधुनिक खेती से मोटी कमाई: किसान कृष्ण लाल ने बताया कि वह हरियाणा सरकार में विद्युत विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे. कुछ वर्ष पहले वह विभाग से सेवानिवृत्त हो गए उनके पास अपने पूर्वजों की जमीन थी, जिस पर वह परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे थे. उन्होंने सोचा कि रिटायरमेंट के बाद परंपरागत तरीके से खेती न करके नई तकनीक से खेती करें ताकि खेती में मुनाफा हो सके जिसके चलते उन्होंने लाडवा और घरौंडा दोनों सेंटरों में जाकर उन्होंने फल एवं सब्जियों के बारे में जानकारी ली. संस्थान में जानकारी लेने के बाद पता चला कि अगर इंडो इजरायल की तकनीक से सब्जियों की खेती करें तो अच्छा मुनाफा ले सकते हैं. इसी के चलते करीब 5 एकड़ में सब्जियों की खेती शुरू की और एक एकड़ में आम का बाग लगाया. इन सबसे अच्छा मुनाफा हो रहा है. उन्होंने कहा कि समय-समय पर केंद्र में जाकर वैज्ञानिकों की सलाह लेते हैं, अगर कोई समस्या होती है तो सलाह करके इसका प्रबंधन करते हैं.

नई तकनीक से पानी और पैसे की बचत: वहीं, युवा किसान रिंकू ने कहा कि उन्होंने घरौंडा के केंद्र से सब्जियों की खेती के बारे में ट्रेनिंग ली है. रिंकू पहले परंपरागत तरीके से खेती करते थे, लेकिन वहां पर जाकर उनहें पता चला कि नई तकनीक से सब्जियों की खेती करने से अच्छा मुनाफा हो सकता है. ऐसे में उन्होंने वहां से ट्रेनिंग लेकर सब्जियों की खेती शुरू की, जिसमें वह अच्छी पैदावार ले रहे हैं. इसके साथ ही वह टपका विधि से सिंचाई करते हैं, जिसमें पानी की भी बचत होती है.

इंडो इजरायल फल उत्कृष्ट केंद्र में आधुनिक तरीके से फल उत्पादन पर जोर: किस राजा राम ने बताया कि उन्होंने वह खेती में कुछ नया करना चाहते थे, क्योंकि बच्चे बड़े हो गए हैं और वह अपने काम धंधे के साथ-साथ खेती करते हैं. वहीं, परंपरागत तरीके से धान और गेहूं की फसल ही लगाते थे, जिसमें कुछ ज्यादा बचत नहीं होती. उन्हें किसी से लाडवा के फ्रूट केंद्र के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद उन्होंने वैज्ञानिकों से सलाह करके 2 एकड़ में अमरूद का बाग लगाया, जिससे वह अच्छा मुनाफा ले रहे हैं. वहां ड्रिप इरीगेशन से वह सिंचाई करते हैं, जिसमें पानी भी कम लगता है और पौधों के बीच में जो जगह बची होती है. वहां पर इंटरक्रॉपिंग करके दूसरी फसल भी लेते हैं, जिसे एक फसल से दोगुना मुनाफा होता है.

ये भी पढ़ें:Super Seeder Machine: किसानों के लिए वरदान से कम नहीं सुपर सीडर मशीन, पैसा और समय दोनों की होती है बचत, जानें कैसे करती है काम

ये भी पढ़ें:Cotton Farming in Haryana: कपास किसानों के लिए वरदान है सरकार की ये योजना, मिलता है 30 हजार प्रति एकड़ मुआवजा, जानिए कैसे उठाएं फायदा

ABOUT THE AUTHOR

...view details