करनाल: सर्दियों का मौसम जोर पकड़ चुका है. बरसात के साथ- साथ ठंडी हवाएं भी इन दिनों चल रही है. कड़ाके की यह ठंड दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करती है. नतीजतन, जानवर अक्सर बुखार और न्यूमोनिटिक समस्या से ग्रसित हो जाते हैं. यह पशु के दूध उत्पादन, स्वास्थ्य और प्रजनन को प्रभावित करता (animal care in winter) है. सर्दियों के इस मौसम में पशुपालकों को अपने सभी दुधारू पशुओं (गाय-भैंस) की खास देख-रेख करनी चाहिए. अगर पशुपालकों ने जरा सी भी लापरवाही दिखाई तो उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर सर्दी में पशुओं को कैसे सुरक्षित रखा जाए. इस बारे में हमने डॉक्टर तरसेम राणा से बातचीत की.
सर्दियों में पशुओं की डाइट
डॉक्टर तरसेम राणा ने बताया कि सर्दी के मौसम में पशुपालक अपने पशुओं को संतुलित मात्रा में चारा देकर दूध की क्षमता बढ़ा सकते हैं. दूध उत्पादन में कमी का मुख्य कारण पशुओं को उसी अनुपात में मिलने वाली खुराक है. सर्दी के दिनों में पशुओ को सामान्य दिनों के अपेक्षा ज्यादा खुराक देनी चाहिए. पशु को मिलने वाला संतुलित राशन दूध उत्पादन को बढ़ाता है. पशुओं को खिलाया जाने वाला चारा भी इस तरह का हो जिसकी पाचन क्षमता 60 प्रतिशत से अधिक हो. डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि अगर दुधारू पशुओं को सर्दी के दिनों में संतुलित आहार के साथ-साथ खनिज मिश्रण, एनर्जी बूस्टर दिया जाए तो पशु का दूध नहीं घटेगा. इसके अलावा पशु की उचित देखभाल आदि पशु की दूध क्षमता 25 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं.
डॉक्टर ने बताया कि पशुओं के लिए भूसा ऊर्जा का मुख्य स्रोत है. यह सर्दियों में पशुओं को भरपेट देना चाहिए. सर्दियों के दिनों में हरे चारे के रूप में बरसीम की जई दी जा सकती है. सूखे भूसे में इसका चौथाई भाग लेकर आधा हिस्से तक मिलाकर दें. अनाज के तौर पर गेहूं का दलिया, खल, चना, ग्वार बिनोला आदि दिया जाना चाहिए. बिनौले को रात को पानी में भिगोकर रखें. सुबह इस पानी को फेंक कर इसे ताजा पानी में उबालकर पशु को दिन में दो बार खिलाएं. बिनौला, चना, ग्वार से पशुओं का दूध बढ़ जाता है.
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पशुओं को ठंड से बचाने के उपाय
- पशुशाला के दरवाजे खिड़कियां और अन्य खुले स्थान पर रात के समय बोरी, तिरपाल, टाट को टांगना चाहिए. ताकि पशुओं को ठंडी हवा से बचाया जा सके.
- रात के वक्त पर पशुशाला के फर्श पर पराली या भूसा को बिछाएं ताकि फर्श से लगने वाली ठंड पशुओं को ना लग सके.
- पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए ताकि पशुओं का मूत्र बहकर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे.
- पशुओं को दिन के वक्त धूप में छोड़ें इससे पशुशाला का फर्श अथवा जमीन सूख जाएगा तथा पशु को गर्माहट भी मिलेगी.
- पशु को ताजा और स्वच्छ पानी ही पिलाएं जो अधिक ठंडा ना हो.
डॉक्टर राणा ने बताया कि इन सब के अलावा नवजात बछड़ों और बीमार पशुओं को रात के वक्त बोरी या तिरपाल से ढक दें. सुबह धूप निकलने पर हटा दें. पशुओं को हरे चारे विशेषकर बरसीम के साथ तूड़ी अथवा भूसा मिलाकर खिलाएं. रात के समय में पशुओं को सूखा चारा आहार के रूप में उपलब्ध कराएं. पशुओं को उनकी आवश्यकता अनुसार संतुलित आहार खिलाना चाहिए . इसके अलावा 25 से 50 ग्राम खनिज मिश्रण और नमक भी चारे के साथ जरूर दें.
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